सीजी भास्कर 22 जुलाई
नागौर (राजस्थान): राजस्थान के नागौर जिले के खींवसर गांव से एक चौंकाने वाला और बेहद अमानवीय मामला सामने आया है, जिसने प्रशासन की लापरवाही की पोल खोल दी है। सोमवार की शाम ग्रामवासी स्व. रामरख भार्गव का निधन हुआ और मंगलवार सुबह जब उनके अंतिम संस्कार के लिए शवयात्रा निकाली गई, तो ग्रामीणों को शव लेकर घुटनों तक भरे पानी में से गुजरना पड़ा।
बारिश के पानी ने रास्ते को बना दिया दलदल, कोई निकासी व्यवस्था नहीं
गांव में तीन दिन पहले तेज बारिश हुई थी, लेकिन आज तक पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की गई। श्मशान भूमि जाने वाला मुख्य रास्ता जलमग्न हो गया है। अंतिम संस्कार के समय ग्रामीणों को शव लेकर पानी के बीच चलना पड़ा — यह नजारा इतना मार्मिक था कि हर आंख नम हो गई।
खींवसर पंचायत बनी मूक दर्शक, लोगों में गुस्सा
ग्राम पंचायत खींवसर और स्थानीय प्रशासन के खिलाफ लोगों में भारी आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि खींवसर एक पंचायत समिति और उपखंड मुख्यालय होने के बावजूद यहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। नालियों की सफाई, बारिश के पानी की निकासी, और आपदा प्रबंधन जैसी जिम्मेदारियों को पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है।
पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले
यह पहली बार नहीं है जब नागौर या राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों से ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं। मानसून आते ही कई इलाकों में सड़कें तालाब बन जाती हैं, और गांवों के अंदरूनी रास्ते पूरी तरह जलमग्न हो जाते हैं। कई बार बीमार, बुजुर्ग या गर्भवती महिलाओं को पालकी या चारपाई पर उठाकर अस्पताल ले जाना पड़ा है।
प्रशासन से सवाल: क्या गांवों की गरिमा खत्म हो गई है?
स्थानीय लोगों ने सवाल उठाया है कि क्या ग्रामीणों की जान, सम्मान और सुविधाएं सिर्फ चुनावी वादों तक सीमित रह गई हैं? जब एक शव को भी सम्मानपूर्वक अंतिम यात्रा तक नहीं पहुंचाया जा सके, तो इससे बड़ा प्रशासनिक फेलियर और क्या हो सकता है?