सीजी भास्कर 16 जुलाई। इंदौर के चर्चित राजा रघुवंशी (Raja Raghuvanshi) हत्याकांड का असर अब सिर्फ अपराध जगत तक सीमित नहीं है। यह केस अब पारिवारिक अदालतों में तलाक की मांग का कारण बन गया है।
बीते एक महीने में इंदौर के कुटुंब न्यायालय (Family Court) में ऐसे पाँच से अधिक मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें पतियों ने कोर्ट से गुहार लगाई है कि “उन्हें भी कहीं राजा रघुवंशी जैसा अंत न झेलना पड़े।”
इंदौर हत्याकांड: तलाक मांगने वालों के लिए डर का पर्याय बन गया राजा रघुवंशी केस
पतियों द्वारा तलाक की अर्जी में अब ‘राजा रघुवंशी’ केस का बार-बार ज़िक्र किया जा रहा है।
कोर्ट की काउंसलिंग के दौरान पति कह रहे हैं,
“अगर पत्नी साथ नहीं रहना चाहती, तो मुझे राजा रघुवंशी की तरह मरना नहीं है, मुझे शांति चाहिए।”
कई मामलों में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर (विवाहेतर संबंधों) को लेकर आरोप भी लगाए गए हैं। अदालत की काउंसलर भी मानती हैं कि हालिया केस ने पति-पत्नी के रिश्तों में अविश्वास और डर का नया अध्याय जोड़ दिया है।
नौकरीपेशा पति ने कहा – “राजा रघुवंशी की तरह नहीं मरना चाहता”
इंदौर में निजी क्षेत्र में काम करने वाले एक पति ने अपनी पत्नी से तलाक की मांग करते हुए कोर्ट से कहा:
“पत्नी घंटों किसी अनजान शख्स से बात करती है, घर की कोई जिम्मेदारी नहीं निभाती।”
“वह आज़ाद होकर जी सकती है, लेकिन मैं राजा की तरह नहीं मरूंगा।”
पत्नी का पक्ष:
पत्नी ने कोर्ट में कहा कि वह अभी भी इस रिश्ते को निभाना चाहती है और साथ रहने के लिए तैयार है।
बैंक अधिकारी ने 1 साल में ही मांगा तलाक
एक बैंक अधिकारी ने शादी के महज एक साल बाद ही तलाक की याचिका दायर की।
उसने आरोप लगाया कि पत्नी ज़्यादातर समय मायके में रहती है और साथ नहीं रहना चाहती।
शक जताया गया कि पत्नी का पहले से किसी से संबंध था और शादी सिर्फ सामाजिक दबाव में हुई।
उसने कोर्ट में कहा:
“जब पत्नी साथ रहना ही नहीं चाहती, तो इस रिश्ते में बंधकर जीने का क्या मतलब? मैं राजा की तरह खुद को खत्म नहीं करना चाहता।”
विशेषज्ञों की राय: रिश्तों में आ रहा है डर और असुरक्षा
कुटुंब न्यायालय की वरिष्ठ काउंसलर के अनुसार,
“राजा रघुवंशी हत्याकांड ने पुरुषों के मन में असुरक्षा पैदा कर दी है।”
“कई पुरुष अब खुलकर रिश्ते खत्म करने की बात कर रहे हैं, बजाय ज़हर घोलते रिश्ते निभाने के।”
बढ़ते तलाक के मामले : समाज में क्या बदल रहा है?
- विवाहेतर संबंधों के मामले बढ़ रहे हैं
- तलाक के मामलों में अब हत्या और डर जैसे शब्दों का ज़िक्र सामान्य हो चला है
- काउंसलिंग की प्रक्रिया में ‘राजा रघुवंशी केस’ उदाहरण के रूप में लिया जा रहा है