रायपुर के इंद्रावती भवन से आई एक अप्रत्याशित तस्वीर ने पूरे प्रशासन को चौंका दिया है। Indravati Bhawan security breach तभी समझ में आता है जब मंत्रालय जैसे संवेदनशील क्षेत्र के भीतर एक सांड बेधड़क घूमता दिखाई दे जाए—और सुरक्षा कर्मियों को इसकी भनक तक न लगे।
तस्वीर के वायरल होते ही लोगों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया कि इतने महत्वपूर्ण भवन में आवारा पशु कैसे घुस गया।
पेट्रोलिंग और मॉनिटरिंग पर उठ रहे गंभीर सवाल
जानकारी के मुताबिक सांड काफी देर तक भवन परिसर में घूमता रहा, लेकिन न गार्ड सतर्क हुए, न किसी ने समय रहते रोकथाम की।
यह स्थिति यह दर्शाती है कि public premises monitoring के नाम पर जो व्यवस्था दिखाई जाती है, वह धरातल पर उतनी सक्षम नहीं है।
आवारा पशुओं की एंट्री को गंभीरता से रोकने के लिए जो सिस्टम होना चाहिए, वह फिलहाल बेहद कमजोर नजर आया।
अदालतों के निर्देशों के बीच ऐसी चूक चिंताजनक
पिछले कुछ वर्षों में अदालतें लगातार यह कहती रही हैं कि आवारा पशुओं पर नियंत्रण और उनकी निगरानी पर राज्य गंभीर कदम उठाए।
इसके बावजूद Indravati Bhawan security breach जैसी घटना बताती है कि नियमों का पालन ज़मीनी स्तर पर नहीं हो रहा।
विशेषज्ञों के अनुसार यह न केवल सुरक्षा जोखिम है, बल्कि administrative negligence का उदाहरण भी है।
कर्मचारियों और आगंतुकों की सुरक्षा भी खतरे में
सरकारी भवनों में रोज़ाना सैकड़ों कर्मचारी और आम नागरिक आते हैं।
ऐसे में किसी आवारा पशु का अंदर तक पहुंच जाना उनकी सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है।
तस्वीर वायरल होने के बाद कई कर्मचारियों ने भी टिप्पणी की कि यह घटना भवन की internal security readiness का वास्तविक स्तर दिखाती है।
अब प्रशासन पर दबाव—सुरक्षा व्यवस्था में तुरंत सुधार की मांग
घटना के बाद विशेषज्ञों ने सुझाव दिए हैं कि इंद्रावती भवन के आसपास नियमित पेट्रोलिंग, बाड़बंदी, और प्रवेश बिंदुओं पर कड़ी निगरानी अनिवार्य की जाए।
इसके अलावा कर्मचारियों को भी ऐसी आपात स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया देने की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।
लोगों का स्पष्ट कहना है कि Indravati Bhawan security breach जैसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए ठोस और सख्त कदम उठाए जाएं।
