Inspiring Success Story | विपरीत हालात में मां के साहस से बदली बेटे की तकदीर
कोरबा के मानस नगर से निकली यह कहानी सिर्फ एक परीक्षा परिणाम भर नहीं है, बल्कि यह बताती है कि हौसले और संघर्ष की कोई सीमा नहीं होती। पिता के निधन के बाद जब घर की जिम्मेदारी पूरी तरह शकुंतला पटेल पर आ गई, तब उन्होंने लोगों के घरों में बर्तन धोकर जो कमाया, उसी से बेटे राज पटेल की पढ़ाई और घर का खर्च चला। यह Inspiring Success Story इसलिए और विशेष हो जाती है, क्योंकि इन परिस्थितियों में भी राज ने CGPSC 2024 में 22वीं रैंक हासिल की।
पिता की कमी, मां का संघर्ष और पढ़ाई से समझौता नहीं
राज के पिता, स्वर्गीय संतोष पटेल, सीएसईबी 200 प्लांट में मजदूर थे। वर्ष 2004 में उनके निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी अचानक मां शकुंतला पर आ गई। आर्थिक संकट लगातार पीछा कर रहा था, लेकिन Hard Work और मां की दृढ़ता ने राज की पढ़ाई में कभी बाधा नहीं आने दी।
राज की प्रारंभिक पढ़ाई सरस्वती शिशु मंदिर में हुई और आगे चलकर वे अद्वैत फाउंडेशन के छात्र बने — वही फाउंडेशन जिसने कोरोना काल में 100 मेधावी छात्रों को मुफ्त शिक्षा दी।
Inspiring Success Story | तीन साल दिल्ली में पढ़ाई, दूसरा प्रयास और बड़ी उपलब्धि
राज बताते हैं कि उन्होंने लगातार तीन साल दिल्ली में रहकर UPSC पैटर्न पर तैयारी की। CGPSC में यह उनका दूसरा प्रयास था।
करीब 2 लाख उम्मीदवारों में से 4000 मुख्य परीक्षा तक पहुंचे और साक्षात्कार के बाद 230 का चयन हुआ। इन्हीं में राज ने 22वीं रैंक हासिल कर अपनी पहचान मजबूत की।
यह Determination का परिणाम है कि कठिनाइयों से लड़कर वह सफल हुए।
मां, गुरुजनों और फाउंडेशन को दिया श्रेय, अनुशासन बना सबसे बड़ा हथियार
राज कहते हैं कि उनकी सफलता का सबसे बड़ा हिस्सा उनकी मां की त्यागपूर्ण मेहनत और मार्गदर्शन को जाता है।
उनका मानना है कि नियमित पढ़ाई, अनुशासन और व्यवस्थित रणनीति ही उन्हें इस मुकाम तक लाई। राज के शब्दों में, Consistency ही उनकी सबसे बड़ी पूंजी रही।
Inspiring Success Story | कई छात्रों के लिए प्रेरणा, संघर्ष ने लिखा सफलता का नया अध्याय
राज की उपलब्धि सिर्फ एक युवा की जीत नहीं, बल्कि यह सैकड़ों ऐसे विद्यार्थियों की उम्मीद है जो कठिन परिस्थितियों में भी बड़े सपने देखने की हिम्मत रखते हैं। उनकी मां शकुंतला पटेल ने हर मुश्किल को झेलते हुए बेटे का भविष्य संवारने को प्राथमिकता दी।
यह कहानी उन सभी परिवारों के लिए संदेश है कि यदि समर्पण और मेहनत साथ हो, तो परिस्थितियां चाहे जितनी भी कठिन हों, रास्ते खुद बन जाते हैं।
