सीजी भास्कर, 02 दिसंबर। ईरान इस समय अपने इतिहास के सबसे गंभीर जल संकट (Iran Water Crisis) से गुजर रहा है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि राष्ट्रपति ने पहली बार सार्वजनिक तौर पर चेतावनी दी है कि अगर आने वाले दिनों में पर्याप्त बारिश नहीं हुई, तो राजधानी तेहरान की लगभग 1.5 करोड़ आबादी को खाली कराना पड़ सकता है। देश के कई बड़े शहर जलहीन हो चुके हैं और पानी के लिए पसरा सूखा रोजमर्रा की जिंदगी को निगलने लगा है।
देश के 20 से ज्यादा प्रांत पानी के लिए त्रस्त
रिपोर्टों के अनुसार ईरान (Iran Water Crisis) के 20 से अधिक प्रांत महीनों से पानी का इंतजार कर रहे हैं। कई तालाब और झीलें पूरी तरह सूख चुके हैं, खेत बंजर हो गए हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में लोग रोज घंटों खाली बर्तनों के साथ पानी की सप्लाई का इंतजार करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह संकट केवल मौसमी नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों पर एक स्थायी बोझ बन सकता है।
तेहरान के जलाशयों में सिर्फ 11 प्रतिशत पानी
राजधानी तेहरान (Iran Water Crisis) की स्थिति सबसे ज्यादा गंभीर बताई जा रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार शहर के प्रमुख जलाशय मात्र 11% क्षमता तक भरे हैं। इसके आसपास के बड़े डैमों में से एक 9%, जबकि दूसरा सिर्फ 8% पर पहुंच चुका है। कई इलाकों में पाइपलाइनें घंटों सूखी रहती हैं और पानी की सप्लाई बेहद अनियमित हो चुकी है।
छह साल से लगातार सूखे की मार
ईरान पिछले छह वर्षों से लगातार सूखे का सामना कर रहा है। कम वर्षा, बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन की वजह से हालात हर साल खराब होते गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सूखा अब तक का सबसे लंबा और सबसे तीव्र सूखा है, जो देश की जल प्रणाली को चरमराकर रख देने वाला साबित हुआ है।
गलत नीतियों और जल प्रबंधन की विफलता जिम्मेदार
जानकारों के अनुसार संकट की असली वजह केवल मौसम नहीं, बल्कि दशकों से चली आ रही गलत नीतियां हैं। अनियंत्रित बांध निर्माण, भूजल का बेहतरीन से बेहद खराब दोहन, पुरानी रिसती पाइपलाइनें, पानी की खपत बढ़ाने वाले उद्योगों का विस्तार और पानी-आधारित कृषि पद्धति ने ईरान के जल स्तर को लगभग खत्म कर दिया है। देश के करीब 90% पानी का इस्तेमाल कृषि में होता है, जहां चावल जैसी अत्यधिक पानी मांगने वाली फसलें बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं।
देश “वॉटर बैंकक्रप्सी” की कगार पर
कई नदियों और झीलों के सूख जाने से स्थिति और विकराल हो गई है। विशेषज्ञ इस स्थिति को “वॉटर बैंकक्रप्सी” कह रहे हैं—यानि देश की जल-संपदा लगभग समाप्त हो चुकी है और इसे दोबारा भरना बेहद कठिन हो चुका है। सरकार ने कृत्रिम बारिश की तकनीक आजमाने की कोशिशें की हैं, लेकिन वैज्ञानिक इसकी सफलता को लेकर संदेह व्यक्त कर रहे हैं। कई शहरों में लोग बारिश के लिए दुआ मांगते हुए धार्मिक स्थलों पर इकट्ठा होने लगे हैं।
