जिस जगह पर शिव कथा होती है, वह 7 दिनों के लिए कैलाश धाम बन जाता है
जयंती स्टेडियम मैदान भिलाई में दिव्य शिवमहापुराण कथा प्रारंभ

सीजी भास्कर, 31जुलाई। जयंती स्टेडियम सिविक सेंटर के मैदान में भव्य और दिव्य शिवमहापुराण की कथा बुधवार से प्रारंभ हुई। यहां भगवान भोलेनाथ के प्रति आस्था, विश्वास का अद्वितीय नजारा रहा।
अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने मंच पर विराजमान होते ही इस अद्भुत आयोजन के लिए बोल बम सेवा समिति के अध्यक्ष दया सिंह की प्रशंसा की।
पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि पूरे भिलाई और छत्तीसगढ़वासियों को सावन के इस पवित्र महीने में शिवमहापुराण कथा का लाभ मिल रहा है। हर वर्ष सावन के पूरे एक महीने भक्तों को ऑनलाइन ही शिव महापुराण कथा सुनने को मिलती थी। लेकिन इन दो वर्षों में केवल भिलाई ही एक मात्र स्थान है, जहां सावन के पवित्र महीने में शिवमहापुराण कथा का ऑफलाइन आयोजन हाे रहा है। इसके लिए दया सिंह के प्रयास और भोले बाबा की कृपा से ही संभव है।

कथा में पहले दिन पूर्व गृहमंत्री व वर्तमान में वन विकास प्राधिकरण के चेयरमैन रामसेवक पैकरा, पूर्व मंत्री पूनम चंद्राकर, पूर्व मंत्री रमशीला साहू, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह की पत्नी वीणा सिंह, उनकी बड़ी बहन ईला कल्चुरी, रेणु सिंह सहित उनका पूरा परिवार कथा श्रवण करने के लिए उपस्थित रहा।
पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि आज स्कंदषष्ठी है। सावन के पवित्र महीने में यह स्कंदषष्ठी वर्ष में केवल एक बार आती है। इसी दिन शिवजी ने अपने पुत्र कार्तिकेय (स्कंध भगवान) को अनेक वरदान दिया था। 33 कोटि देवताओं ने भी उन्हें अनंत वर दिए थे।

आज के दिन स्कंद भगवान को केवल स्मरण करने से शिवजी की अनंत कृपा प्राप्त होती है। जिस भी घर में परिवार में कलेश हो, विवाद हो, संबंध टूट रहे हों तो शिवलिंग के मध्य भाग में स्थित स्कंद भगवान को समर्पण भाव से जल अर्पित करें, एक बेलपत्र, एक दुर्वा और एक सफेद पुष्प अर्पित करें, तो शिवजी की अनंत कृपा प्राप्त होगी और परिवार में पुन: प्रेम बढ़ जाएगा।
जहां पर शिव कथा होती है, चाहे वह पंडाल हो या ऑनलाइन हो या फिर टीवी स्क्रीन के सामने भक्त बैठकर कथा सुन रहे हों वह स्थान 7 दिनों के लिए कैलाश धाम बन जाता है।
शिवजी ने तुमरुका से कहा कि ऐसे अनेक भक्त हैं जो कैलाश धाम तक नहीं आ पाते, इसलिए शिवमहापुराण की कथा जहां पर चलती है, वही कैलाशधाम हो जाता है। मृत्युलोक, भू मंडल पर जहां शिव कथा होगी, वहीं पर कैलाशधाम आ जाता है, शिवजी परिवार सहित पूरे दिन वहीं पर विराजते हैं।
जिस तरह भगवद् गीता, रामचरित मानस समेत अन्य ग्रंथ, पुराणों सुनने का एक नियम होता है, उसी तरह शिव कथा का भी एक नियम है। इसका सबसे बड़ा नियम है कि जिस समय भी आप बैठ कर शिव कथा सुनो उस समय केवल मन में पूरा विश्वास होना चाहिए। मन में केवल एक ही भाव होना चाहिए कि यह कथा मैं नहीं मेरे शिवजी सुन रहे हैं।
पं. मिश्रा ने कहा कि घर छोटी सी झोपड़ी हो या बड़ा सा महल हो, यह कोई मायने नहीं रखता।
शिवपुराण कथा कहती है कि आपके घर में रहने वालों का व्यवहार कैसा है। पता चले कि घर तो बड़ा सा बंगला है परंतु वहां रहने वाले लोगों का व्यवहार अच्छा नहीं है तो बड़ा घर होने का क्या फायदा।

घर में सारी सुविधा है लेकिन रात में चैन की नींद नहीं सो पाते। मन में शांति नहीं है। रात में दवाइयां खानी पड़ रही है तो ऐसे भी बड़े घर का क्या फायदा। शिव महापुराण पक्का विश्वास, दृढ़ता देती है। घर का माहौल अच्छा है तो किराए का मकान भी महल लगता है। सुख, आनंद की अनुभूति होती है।
बैकुंठधाम में एक बार भगवान नारायण और मां लक्ष्मी में झगड़ा हो गया। तब भगवान नारायण हंसने लगे। भगवान को हंसता देख मां लक्ष्मी रूष्ठ हो गईं और उन्हें श्राप दे दिया। एक बाद ब्रह्म लोक में यज्ञ के दौरान मां ब्रह्मानी की प्रतिक्षा नहीं करने पर वे ब्रह्माजी से रूष्ट हो गईं और उन्हें श्राप दे दिया कि जो पूरे संसार में केवल पुष्कर को छोड़कर आपका कहीं मंदिर नहीं होगा।
केवल मृत्युलोक ही ऐसा है जहां के अधिपति शिवजी हैं। वे अपने भक्तों को संदेश देते हैं कि चाहे गुफा में रहो, कुटिया में रहो परिवार में अच्छा माहौल है तो वह परिवार ही सुखी है। इसलिए कथा सुनें और तय करें कि घर का माहौल आपको कैसा रखना है। जिस तरह घर को साफ रखना जरूरी है, उसी तरह मन को भी साफ रखना जरूरी है।
जब प्रतिदिन चाय पीने पर जुबान जलती है तो भी लोग चाय पीना नहीं छोड़ते तो एक बार परीक्षा देकर असफल हो गए तो दोबारा परीक्षा देना मत छोड़ो। भगवान शिव पर भरोसा रखो, एक न एक दिन सफलता जरूरी मिलेगी। परिश्रम करते रहो।
शिवमहापुराण कथा कहती है कि अपने घर का माहौल को ठीक करने की जिम्मेदारी केवल अपनी होती है। दूसरों की नहीं। मारकंडे बाबा काे मालूम था कि उनके पास कम समय बचा है, उनके प्राण छूटने वाले हैं, लेकिन उन्होंने शिवजी की भक्ति और भजन करना नहीं छोड़ा। अंत में शिवजी प्रकट हुए और उनकी आयु बढ़ने का वरदान दिया।
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि देवराज ब्राह्मण कभी मंदिर नहीं गया, भगवान की पूजा नहीं की, नाम जप नहीं किया लेकिन शिवजी उसे नंदी पर बैठाकर कैलाश धाम ले गए। यह कैसे हुआ। तो सुनो वह चोरी का धन लेकर मंदिर में छिपा था, उसी समय उसने कुछ देर के लिए शिवपुराण कथा सुनी। केवल उतने में ही बाबा की कृपा हो गई। पं. मिश्रा ने कहा कि सावन माह में पूजा, अभिषेक नहीं किया तो कोई बात नहीं, केवल में पंडाल में जाकर भोले बाबा की कथा सुन लोग, उनकी कृपा हो जाएगी।
भक्तों ने पत्र लिखकर बाबा की कृपा बताई
जयंती नगर दुर्ग की रामेश्वरी साहू ने पत्र में बताया कि शादी के 15 साल बाद भी उनकी कोई संतान नहीं हो रही थी। डॉक्टर, वैद्यो को दिखाया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। माता-पिता ने 2020 में पं. प्रदीप मिश्रा की कथा सुनने की सलाह दी। कथा सुनी तो विश्वास जागा। पशुपति व्रत किया। सफेद आंकड़े की जड़ बांधी। 2024 में बाबा की कृपा से संतान की प्राप्ति हो गई।
राजीम Rajim news निवासी योगिता शर्मा ने पत्र में बताया कि उनके बड़े बेटे ने यूपीएससी मंं तीन बार परीक्षा दी, इंटरव्यू दिया, लेकिन सलेक्शन नहीं हा पाया। बेटे के साथ सिंहोर जाकर कंकर शंकर की पूजा की। रतलाम जाकर कथा सुनी। कथा सुनने के दौरान सातवें ही दिन उसकी नौकरी के लिए भोलेबाबा की कृपा से लेटर आ गया। आज उनका बेटा सेंट्रेल गर्वमेंट की नौकरी कर रहा है।
तुमसर महाराष्ट्र की महिला ने पत्र में बताया कि नागपुर की कथा में बेटे के लिए सरकारी नौकरी की कामना बाबा से की थी। 19 साल का होते ही बेटे की इंडियन आर्मी में नौकरी लग गई। वह फिराजपुर पंजाब में ड्यूटी दे रहा है।
मालवीय चौक, दीपक नगर दुर्ग निवासी हेमा चंद्राकर ने पत्र में बताया कि भिलाई में दो बार कथा सुनी, 16 साल भले किराए के मकान में रहे, अब दो-दो मकान मिल गए। कुबेरेश्वर धाम जाकर पूजा की। कथा सुनी। व्रत किया तो जगदलपुर शिक्षा विभाग में मेरा चयन हो गया।