सीजी भास्कर 9 दिसम्बर । जालौन में हुई Jalaun Inspector Death Mystery की घटना अब पूरी तरह वैज्ञानिक प्रोटोकॉल पर टिकी है। शुरुआती रिपोर्टों में यह साफ है कि इंस्पेक्टर अरुण राय की मौत का सच सिर्फ उन्हीं सूक्ष्म कणों में छिपा है जो कमरे की दीवारों, बेडशीट और हथियार के पास माइक्रो स्तर पर चिपके मिले हैं।
फॉरेंसिक टीम इस बात की गणना कर रही है कि गोली कितनी दूरी से चली, फायरिंग का सही कोण क्या था और कमरे में मौजूद वस्तुओं पर पड़े कण किस दिशा की ओर इशारा कर रहे हैं।
हर इंच की माइक्रो-स्कैनिंग—कमरे का ‘टेक्निकल ब्लूप्रिंट’ तैयार किया जा रहा
जांचकर्ता एक-एक सतह को माइक्रोस्कोपिक स्कैनर से पढ़ रहे हैं। दीवार पर मौजूद इम्पैक्ट पॉइंट से निकलकर पतली लेज़र को ट्रेस करते हुए टीम यह पता लगा रही है कि गोली ऊपर से आई थी, नीचे से, सीधे सामने से या हल्के किनारे से।
यह ‘माइक्रो-मैप’ ही बताएगा कि फायर की दिशा (shot-direction), ट्रिगर दबाने की पोजीशन और शूटर का खड़ा होना—तीनों की असल टाइमलाइन क्या थी।
हथियार और चैम्बर का विश्लेषण—अनबर्न्ड पाउडर ने खोले कई सुराग
पिस्टल के चैम्बर, बैरल और ट्रिगर के पास जमा हुआ अनबर्न्ड पाउडर यह संकेत दे रहा है कि फायरिंग की दूरी कितनी रही होगी।
अगर करीब से फायर हुआ है, तो पाउडर का घनत्व अधिक होता है—और अगर फायर दूरी से हुआ, तो पैटर्न पूरी तरह बदल जाता है।
फॉरेंसिक टीम इसी पैटर्न के आधार पर यह तय करेगी कि गोली हाथ में पकड़कर चलाई गई, या किसी और की पकड़ उसमें शामिल थी।
कपड़ों, हाथों और डिजिटल एविडेंस—GSR सैंपल्स करेंगे निर्णायक भूमिका
किसी भी व्यक्ति के हाथ, कलाई, शर्ट-स्लीव, मोबाइल या बैग पर GSR मिलना इस बात का संकेत है कि वह व्यक्ति गोली चलने के वक्त बेहद नजदीक था या हथियार उसके हाथों में आया था।
ये कण इतनी सूक्ष्म अवस्था में होते हैं कि इन्हें छिपाना नामुमकिन है—इसी वजह से इन्हें वैज्ञानिक जांच का सबसे भरोसेमंद स्तंभ माना जाता है।
हादसा, खुदकुशी या हत्या?—वैज्ञानिक रिपोर्ट ही खोलेगी असली परतें
टीम अब अंतिम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। यही बताएगी कि ट्रिगर एक हाथ से दबा या दोनों हाथों से, फायर सीधा था या एंगल पर, और गोली चलने के दौरान कमरे में कोई तीसरा मौजूद था या नहीं।
यह केस अब सिर्फ बयानबाजी पर नहीं—बल्कि ठोस सबूतों पर तय होगा।
CCTV टाइमलाइन: तीन मिनट में बदल गई पूरी कहानी
शुक्रवार रात 9:16 बजे सरकारी आवास के कमरे में गोली चली।
CCTV फुटेज में 9:15 बजे मीनाक्षी फोन पर बात करते हुए उसी दिशा में जाती दिखती है।
9:18 पर वह बाहर भागती दिखाई दी और कहती सुनी गई कि “साहब ने खुद को गोली मार ली।”
इसके बाद वह कई लोगों को फोन कर संपर्क बनाने की कोशिश करती है और मौके से हट जाती है।
कमरे में मिला दृश्य: मच्छरदानी के भीतर खून, पिस्टल पेट के पास, सिर में आर-पार गोली
पुलिस जब कमरे में पहुंची तो इंस्पेक्टर का शव मच्छरदानी के अंदर पड़ा था।
9 एमएम की सर्विस पिस्टल उनके पेट के पास थी।
गोली सिर से होकर आर-पार निकल चुकी थी।
उनकी पत्नी ने अगली सुबह हत्या की FIR दर्ज कराई और शक जताया कि घटना न खुदकुशी है, न हादसा—बल्कि एक साजिश है।
कॉल रिकॉर्डिंग का क्लू: तीन दिन में 100 से अधिक कॉल और वीडियो कॉल
सर्विलांस टीम के अनुसार, घटना से पहले तीन दिनों में इंस्पेक्टर और महिला सिपाही मीनाक्षी के बीच 100 से अधिक कॉल व वीडियो कॉल हुई थीं।
यह तथ्य भी जांच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनने जा रहा है।
गिरफ्तारी के बाद मीनाक्षी को न्यायिक हिरासत में भेजा गया, जहां उसकी तरफ से किसी भी तरह का पछतावा नहीं दिखा।


