जम्मू कश्मीर , 15 अप्रैल 2025 :
Jammu Kashmir Politics: जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख तारिक हमीद कर्रा ने लोगों को केंद्र सरकार द्वारा संविधान को कमजोर करने के प्रयासों के खिलाफ आगाह किया है. उन्होंने कहा कि देश में संविधान और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए लड़ने का समय आ गया है.
जम्मू में भारत पाकिस्तान सीमा से सटे सुचेतगढ़ में पार्टी की एक सभा को संबोधित करते हुए, एआईसीसी महासचिव और सीएलपी नेता जी ए मीर के अलावा पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया. उन्होंने केंद्र सरकार पर संविधान और इसकी आत्मा को हर दिन कई तरीकों से कमजोर करने का आरोप लगाया.
हमीद कर्रा ने इन मूल मूल्यों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि वर्तमान में विभिन्न ताकतें सक्रिय रूप से काम कर रही हैं, जो समानता और न्याय के सिद्धांतों को कमजोर कर रही हैं और उन पर हमला कर रही हैं, जिन्हें भारत के इतिहास में बड़ी मेहनत से स्थापित किया गया है.
उन्होंने चिंता व्यक्त की कि ये प्रयास संविधान की नींव को कमजोर करने की धमकी देते हैं, जिसे सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा और बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था, चाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो. इन चुनौतियों के मद्देनजर, कर्रा ने लोगों से इस अवसर पर खड़े होने और संविधान की रक्षा करने और राष्ट्र को आधार देने वाली लोकतांत्रिक संस्थाओं को बनाए रखने के लिए सक्रिय कदम उठाने का आग्रह किया.
वहीं इस मौके पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव गुलाम अहमद मीर ने कार्रवाई का आह्वान करते हुए इस बात पर जोर दिया कि लोकतांत्रिक ढांचे और इसके द्वारा गारंटीकृत अधिकारों की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि डॉ. आंबेडकर द्वारा निर्धारित दृष्टिकोण और मूल्य भारतीय समाज में पनपते रहें.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के सिद्धांतों के प्रति डॉ. अंबेडकर का अथक और निस्वार्थ समर्पण वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का एक शक्तिशाली स्रोत है.
वहीं पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद ने कहा कि वे भारतीय संविधान के निर्माता थे, डॉ. अंबेडकर दलितों और वंचितों के गॉडफादर थे, जिन्होंने लाखों शोषित लोगों को आत्मसम्मान और सम्मानजनक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि सामाजिक कलंक और उत्पीड़न का दंश झेलने के बाद भी बाबासाहेब भारत में असमानता के खिलाफ लड़ाई और शोषित और वंचित लोगों को समान अधिकार दिलाने के लिए प्रतिबद्ध रहे.