सीजी भास्कर 24 अक्टूबर Justice Suryakant CJI Appointment : देश के अगले मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे जस्टिस सूर्यकांत की कहानी किसी प्रेरक गाथा से कम नहीं। हरियाणा के हिसार जिले के एक छोटे से गांव पेट्वर में 10 फरवरी 1962 को जन्मे सूर्यकांत (Justice Suryakant) ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से पूरी की। सीमित संसाधनों के बावजूद उनका झुकाव न्याय और संवैधानिक मूल्यों की ओर बचपन से ही था।
1981 में उन्होंने हिसार के गवर्नमेंट पीजी कॉलेज से स्नातक किया और 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से एलएलबी की डिग्री हासिल की। उसी साल उन्होंने हिसार जिला न्यायालय से वकालत शुरू की और जल्द ही पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट तक अपनी जगह बना ली।
सबसे युवा एडवोकेट जनरल बनने का गौरव
7 जुलाई 2000 का दिन उनके जीवन का ऐतिहासिक मोड़ साबित हुआ। इसी दिन वे हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल बने — जो आज तक एक रिकॉर्ड है। उनकी संवैधानिक समझ और न्यायिक तर्कशक्ति ने उन्हें जल्द ही वरिष्ठ अधिवक्ता (Senior Advocate) का दर्जा दिलाया।
सिर्फ एक साल बाद, 9 जनवरी 2004 को जस्टिस सूर्यकांत (Young Advocate General of Haryana) पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बने। इसके बाद 5 अक्टूबर 2018 को उन्हें हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया, जहां उनके निर्णय प्रशासनिक दृष्टि से मिसाल बने।
सामाजिक न्याय की सोच से भरी रही न्यायिक यात्रा
अपने फैसलों में उन्होंने हमेशा समाज के कमजोर तबके, किसानों और वंचितों के पक्ष में संवेदनशील दृष्टिकोण दिखाया। भूमि अधिग्रहण, मुआवजा, आरक्षण और संविधान की आत्मा से जुड़े उनके निर्णयों ने उन्हें जनता का न्यायाधीश बना दिया।
उनके फैसलों ने न सिर्फ कानूनी ढांचे को मजबूती दी बल्कि देश में न्यायपालिका की विश्वसनीयता को भी बढ़ाया। यही कारण है कि वे आज उस कुर्सी तक पहुंच रहे हैं, जहां से देश के न्यायिक भविष्य की दिशा तय होती है।
देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश बनेंगे सूर्यकांत
केंद्र सरकार ने नए सीजेआई की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है। मौजूदा सीजेआई बीआर गवई के 23 नवंबर को सेवानिवृत्त होने के बाद, जस्टिस सूर्यकांत (India’s 53rd Chief Justice) 24 नवंबर को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे।
वे 9 फरवरी 2027 तक इस पद पर रहेंगे। न्यायिक प्रक्रिया के मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है — और इस समय सर्वोच्च न्यायालय में जस्टिस सूर्यकांत सबसे वरिष्ठ जज हैं।
एक गांव से न्याय की गद्दी तक
एक साधारण किसान परिवार से निकले इस व्यक्ति का देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंचना इस बात का प्रमाण है कि मेहनत, निष्ठा और संवेदना का कोई विकल्प नहीं। जस्टिस सूर्यकांत की कहानी आने वाली पीढ़ियों को यह याद दिलाती रहेगी कि “न्याय केवल किताबों में नहीं, जमीनी हकीकत में बसता है।”
