सीजी भास्कर, 02 सितंबर। पश्चिम बंगाल में सेना और ममता बनर्जी सरकार के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है।
सोमवार को जहां सेना ने मेयो रोड पर तृणमूल कांग्रेस का स्टेज हटाया, वहीं मंगलवार को कोलकाता पुलिस ने सेना का एक ट्रक रोक दिया। इस घटनाक्रम ने सियासी और प्रशासनिक हलचल को और तेज कर दिया है।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
- सोमवार को फोर्ट विलियम से पहुंचे जवानों ने टीएमसी भाषा आंदोलन का मंच हटाया।
- इसके बाद राज्य सरकार और सेना आमने-सामने आ गए।
- अगले ही दिन राइटर्स बिल्डिंग के पास पुलिस ने सेना का ट्रक रोक दिया, जिससे सड़क पर अफरा-तफरी मच गई।
पुलिस का आरोप और सेना का पक्ष
पुलिस सूत्रों के मुताबिक,
- ट्रक तेज रफ्तार में और खतरनाक तरीके से चलाया जा रहा था।
- ट्रक ने ट्रैफिक सिग्नल का उल्लंघन किया।
पुलिस का कहना है कि उस वक्त कोलकाता के मेयर मनोज वर्मा की गाड़ी भी ट्रक के पीछे थी। इसी वजह से ड्यूटी पर तैनात ट्रैफिक पुलिस ने वाहन को रोक दिया।
दूसरी ओर, सेना के एक जवान ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें पता ही नहीं था कि मेयर की कार पीछे है। उन्होंने बताया कि
- रेड लाइट की स्थिति को लेकर भ्रम था।
- सड़क पर लगे नो-राइट टर्न बोर्ड को देखते हुए वे राइट साइड मुड़े।
CCTV फुटेज ने खोली परतें
जांच में सामने आया कि
- पहले मेयर की कार जवानों की गाड़ी से आगे निकल गई थी।
- उसके बाद सेना का ट्रक राइट साइड मुड़ा, जिस पर पुलिस ने उसे रोका।
घटना की जानकारी फोर्ट विलियम के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को दी गई, जिसके बाद दो अधिकारी मौके पर पहुंचे।
हालात और असर
यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब राज्य में पहले से ही सेना और ममता सरकार के बीच तनातनी बनी हुई है।
- टीएमसी के मंच हटाए जाने को लेकर राजनीतिक बवाल जारी है।
- अब सेना के ट्रक रोकने की घटना से यह विवाद और गहरा हो गया है।