भारत में इस साल मानसून सीजन (Monsoon Season) सामान्य से ज्यादा सक्रिय रहा है। अब मौसम वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि साल के आखिर में ला नीना (La Nina IMD Warning) की स्थिति बन सकती है। अगर ऐसा हुआ तो उत्तर भारत में कड़ाके की सर्दी और हिमालयी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी देखने को मिल सकती है।
अक्टूबर-दिसंबर में 71% संभावना
अमेरिका के जलवायु पूर्वानुमान केंद्र (Climate Prediction Center) ने संकेत दिया है कि अक्टूबर से दिसंबर के बीच ला नीना (La Nina Possibility) लौटने की 71% संभावना है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने भी माना है कि मानसून के बाद इस बार ठंड का असर सामान्य से कहीं ज्यादा हो सकता है।
मानसून के दौरान बनी रहेगी तटस्थ स्थिति
IMD के अनुसार, वर्तमान में प्रशांत महासागर में न तो एल नीनो (El Nino) और न ही ला नीना (La Nina) की स्थिति है। मानसून के दौरान यही तटस्थ माहौल रहेगा। लेकिन मानसून खत्म होते ही अक्टूबर-दिसंबर के बीच ला नीना बनने की संभावना 50% से ज्यादा आंकी गई है। यह भारत में खासकर उत्तर भारत को प्रभावित करेगा।

वैज्ञानिकों का आकलन
स्काइमेट वेदर (Skymet Weather) के अध्यक्ष जीपी शर्मा ने बताया कि प्रशांत महासागर का पानी सामान्य से ठंडा जरूर है, लेकिन अभी यह ला नीना की सीमा तक नहीं पहुंचा है। अगर समुद्र की सतह का तापमान लगातार तीन तिमाहियों तक 0.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाए, तभी इसे ला नीना (La Nina Effect) माना जाता है। उन्होंने कहा कि अगर यह स्थिति बनती है तो भारत में भीषण ठंड और पहाड़ी इलाकों में जबरदस्त बर्फबारी तय है।
IISER की स्टडी और चेतावनी
भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (IISER) और ब्राज़ील के शोधकर्ताओं ने अपनी स्टडी में बताया कि 2024 में आया ला नीना (La Nina 2024) उत्तर भारत में शीत लहरें लाने का बड़ा कारण था। रिसर्च के अनुसार, इस दौरान हवाओं की दिशा में बदलाव होता है और ऊपरी इलाकों से ठंडी हवा सीधे भारतीय उपमहाद्वीप की ओर आती है। यही कारण है कि ला नीना वाले सालों में शीत लहरें ज्यादा लंबी और कड़कड़ाती होती हैं।

पहाड़ी राज्यों में होगी भारी बर्फबारी
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस बार ला नीना पूरी तरह सक्रिय हुआ तो उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में (Heavy Snowfall in Himalaya) रिकॉर्ड तोड़ बर्फबारी हो सकती है। वहीं, मैदानी इलाकों में पारा काफी नीचे जा सकता है।
