सीजी भास्कर, 14 नवंबर | बिलासपुर में चल रहे एक बड़े Land Acquisition Dispute पर हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण अंतरिम फैसला सुनाते हुए नगर निगम की ओर से जारी राजसात आदेश को फिलहाल रोक दिया है। तिफरा सेक्टर-D के पास स्थित लगभग 19 एकड़ की कॉलोनी को गुरुवार सुबह निगम ने अपने प्रबंधन में लेने का निर्देश जारी किया था, लेकिन दोपहर तक अदालत में सुनवाई होते ही न्यायाधीश ने इस कदम पर सख़्त टिप्पणी की और आदेश को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया।
Land Acquisition Dispute: 19 एकड़ की प्रीमियम जमीन पर निगम की कार्रवाई पर सवाल
निगम द्वारा राजसात की दिशा में उठाया गया कदम अचानक था और उसी ने पूरे विवाद को और गहरा कर दिया। जानकारी के मुताबिक, सुबह जारी आदेश में कॉलोनी को निगम के नाम दर्ज करने के लिए एसडीएम को कॉपी भेजी गई थी। यह कदम ऐसे समय उठाया गया जब मामला पहले से ही अदालत में लंबित था।
अदालत में सुनवाई के दौरान जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू ने स्पष्ट रूप से कहा कि लंबित याचिकाओं के बावजूद की गई यह कार्रवाई अनुचित दिखती है और उस पर तुरंत विराम लगाया जाता है।
Land Acquisition Dispute: कॉलोनाइज़र की याचिकाएँ, निगम के नोटिस और बढ़ता तनाव
निगम का दावा है कि कॉलोनी का निर्माण नियमों के विपरीत किया गया था और यही वजह थी कि तीन बार नोटिस निकालकर दावा-आपत्तियाँ आमंत्रित की गईं। वहीं कॉलोनाइज़र सुरेंद्र जायसवाल ने इन नोटिसों को एक-एक कर अलग-अलग याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी, जो अभी तक निष्पादन की प्रतीक्षा में हैं।
अदालत को बताया गया कि निगम को यह जानकारी थी कि मामला विचाराधीन है, क्योंकि 4 नवंबर को सुनवाई में निगम की ओर से जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय मांगा गया था और 12 नवंबर को ही जवाब अदालत में दाखिल किया गया था। इसके बावजूद 13 नवंबर की सुनवाई से ठीक पहले सुबह 11 बजे कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए गए।
Land Acquisition Dispute: जांच समिति, अवैध कॉलोनी और निगम की सिफारिशें
मामले की जड़ एक विस्तृत जांच रिपोर्ट से जुड़ी है। कलेक्टर द्वारा गठित दस सदस्यीय समिति ने कॉलोनी को नियम विरुद्ध बताते हुए कई गंभीर टिप्पणियाँ की थीं। समिति ने छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 292-ग के तहत प्राथमिकी दर्ज करने, धारा 292-च के तहत भूमि का प्रबंधन निगम को सौंपने तथा धारा 292-छ के तहत भूमि समपहरण (land forfeiture) की सिफारिश की थी।
इन्हीं अनुशंसाओं के आधार पर निगम ने दावा-आपत्तियों की प्रक्रिया शुरू की और तीन अलग-अलग सूचनाओं के माध्यम से कुल 63 आपत्तियाँ प्राप्त होने की बात कही।
दावा–आपत्तियाँ निपटाने के बाद निगम ने चुना 19.35 एकड़ क्षेत्र
सभी दावों के निपटारे के बाद निगम ने विभिन्न खसरा नंबरों को मिलाकर कुल 19.35 एकड़ को विवादित मानते हुए राजसात की कार्रवाई तय की। यह वही भूमि है, जिसे गुरुवार सुबह राजस्व रिकॉर्ड में निगम के नाम दर्ज करने की पहल की गई थी।
हालांकि, अदालत की रोक के बाद अब यह पूरा मामला दोबारा सुनवाई के दायरे में आ गया है और सभी पक्षों को अपनी दलीलें विस्तार से रखने का मौका मिलेगा। यह स्पष्ट है कि मामला आसानी से खत्म नहीं होगा और आगे भी कई कानूनी मोड़ सामने आ सकते हैं।
