सीजी भास्कर, 30 अक्टूबर | (Land Compensation Scam Chhattisgarh) में तीन गांव की जमीनों पर फर्जीवाड़ा
रायपुर। भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत जमीन अधिग्रहण में बड़ा घोटाला सामने आया है। जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू (EOW) ने देर रात आठ ठिकानों पर छापेमारी कर तीन पटवारियों को गिरफ्तार किया है। नायकबांधा, भेलवाडीह और टोकरो गांव में जमीनों के दस्तावेज बैक डेट (Back Dated Documents) से तैयार कर किसानों के नाम पर फर्जी मुआवजा निकाला गया। करीब 10 करोड़ रुपए की गड़बड़ी सामने आई है।
तीन पटवारी गिरफ्तार, पांच अधिकारी अब भी फरार
ईओडब्ल्यू ने पटवारी दिनेश पटेल, लेखराज देवांगन और बसंती धृतलहरे को गिरफ्तार किया है। जांच में खुलासा हुआ कि तीनों ने मिलकर 2020 से पहले की तारीखों में कागजात तैयार कर किसानों के नाम से जमीन बांटी और मुआवजा प्रकरण (Compensation File Fraud) बनाकर एसडीएम से पास करा लिया।
पांच अधिकारी—तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार, आरआई और दो अन्य आरोपी कार्रवाई से पहले ही फरार हो गए। एजेंसी ने इनके मोबाइल फोन बंद मिलने पर संपत्ति कुर्क करने की तैयारी शुरू कर दी है।
जलाशय की जमीन पर भी मुआवजे का खेल
जांच में यह भी सामने आया कि नायकबांधा जलाशय की जमीन को किसानों की बताकर दोबारा मुआवजा लिया गया। यह जमीन पहले ही डूबान क्षेत्र में आ चुकी थी, फिर भी नए नामों से रजिस्ट्रेशन (Fake Registration) और नामांतरण कराकर करीब 2.34 करोड़ रुपए का भुगतान कराया गया। कई मामलों में किसानों को केवल आधी रकम दी गई, बाकी रकम अधिकारियों और बिचौलियों ने आपस में बांट ली।
कैसे रची गई साजिश
महासमुंद निवासी प्रॉपर्टी डीलर हरमीत खनूजा ने कारोबारी विजय जैन, खेमराज कोसले और केदार तिवारी के साथ मिलकर पूरी साजिश रची। किसानों को डर दिखाया गया कि अगर दस्तावेज पूरे नहीं हुए तो उन्हें मुआवजा नहीं मिलेगा। इसके बाद उनसे ब्लैंक चेक और आरटीजीएस फॉर्म पर साइन करवाए गए।
राशि को आईसीआईसीआई बैंक के खातों में ट्रांसफर कर निजी संस्थाओं में जमा कराया गया और बाद में बांट लिया गया।
जांच के घेरे में कलेक्टर भी
ईओडब्ल्यू ने अब इस पूरे Land Compensation Scam में तत्कालीन कलेक्टरों की भूमिका की जांच शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि एसडीएम के माध्यम से रकम ऊपर तक पहुंचाई गई। सूत्रों के अनुसार, चार कलेक्टरों पर भी निगरानी रखी जा रही है।
