सीजी भास्कर, 9 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ (Liquor Scam Chhattisgarh) शराब घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को बड़ा अल्टीमेटम दिया है। अदालत ने दोनों एजेंसियों को तीन महीने के भीतर जांच पूरी करने और दिसंबर 2025 के आखिरी सप्ताह तक फाइनल रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह आदेश सितंबर के आखिरी सप्ताह में अपलोड किया गया था, जिसके बाद दोनों एजेंसियों ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ED और EOW ने से जुड़े अफसरों और व्यापारियों से पूछताछ का दायरा बढ़ा दिया है। फिलहाल आबकारी विभाग के 30 अधिकारियों, जिनमें सात सेवानिवृत्त अधिकारी भी शामिल हैं, से पूछताछ की जा रही है। ED के वकील सौरभ पांडे ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जांच को करीब दो साल बीत चुके हैं, इसलिए इसे जल्द से जल्द मुकाम तक पहुंचाना जरूरी है।
13 याचिकाओं पर हुई थी सुनवाई Liquor Scam Chhattisgarh
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले से जुड़ी 13 याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी। जस्टिस एम.एम. सुन्दरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए जांच एजेंसियों को तीन महीने में पूरक आरोपपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया था। इनमें आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएं भी शामिल थीं।
पूर्व सीएम के बेटे समेत 10 से अधिक गिरफ्तार
EOW ने बताया कि विदेशी शराब पर सिंडिकेट द्वारा वसूले गए कमीशन की जांच की जा रही है। इस केस में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, कारोबारी अनवर ढेबर, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अनुराग द्विवेदी, दीपक दुआरी और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल समेत 10 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
3 हजार करोड़ रुपए का घोटाला, सिंडिकेट ने रचा था खेल
ED और EOW की जांच में सामने आया कि यह पूरा घोटाला करीब 3 हजार करोड़ रुपये का है, जिसे तत्कालीन भूपेश सरकार के दौरान IAS अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी ए.पी. त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट ने अंजाम दिया था। अनवर ने रिश्तेदारों और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के नाम पर कई कंपनियों में 90 करोड़ से ज्यादा का निवेश किया था। जांच एजेंसियों का कहना है कि शराब डिस्टलर्स से मिलने वाले कमीशन और अवैध बिक्री के पैसों का 15 प्रतिशत हिस्सा सीधे अनवर ढेबर तक पहुंचता था। इन पैसों की वसूली विकास अग्रवाल और सुब्बू नामक दो सहयोगियों के जरिए की जाती थी।