सीजी भास्कर, 14 नवंबर | (Loan Fraud Case) रायपुर में पकड़ा गया सूदखोर वीरेंद्र तोमर उर्फ रूबी पूछताछ में हर बार नया जवाब देकर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। उसके घर से मिले कोरे स्टांप पेपर और प्रॉपर्टी के दस्तावेजों ने जांच को और गंभीर बना दिया है, लेकिन वह अपनी आय का साफ स्रोत अब तक नहीं बता पाया है। फिर भी वह बार-बार यही दावा कर रहा है कि उसकी संपत्ति “वैध कमाई” से जुटाई गई है, जबकि पुलिस कई बिंदुओं पर उसके कथनों से संतुष्ट नहीं है।
पांच दिन की रिमांड पूरी, भाई रोहित अब भी फरार
वीरेंद्र को शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा। यह कार्रवाई सूदखोरी, उगाही और अवैध हथियार रखने से जुड़े पुराने मामलों के आधार पर की गई है। उसका छोटा भाई रोहित अब भी फरार है, हालांकि सूत्रों का कहना है कि वह जल्द “सरेंडर प्लान” (“Surrender Plan”) पर काम कर सकता है। पुलिस दोनों भाइयों की आर्थिक हलचलों और पुराने लेनदेन का पूरा रिकॉर्ड खंगाल रही है।
भाई से दूरी बताकर बचने की कोशिश, पूछताछ में चुप्पी साधे बैठा
जांच टीम जब वीरेंद्र से उसके भाई रोहित के बारे में पूछती है, तो वह दावा करता है कि पिछले छह महीने से दोनों में कोई बातचीत नहीं हुई। अधिकारी बताते हैं कि वह पूछताछ के दौरान ज्यादातर समय चुप रहता है और सवालों के जवाब में टालमटोल करता है। वह बार-बार यह साबित करने की कोशिश कर रहा है कि उसकी संपत्ति का रिश्ता सूदखोरी से नहीं, बल्कि “मेहनत की कमाई” से है, जबकि उसके दावों और बरामद दस्तावेजों में कई विरोधाभास मिल रहे हैं।
ठेले-ऑटो से शुरू होकर सूदखोरी तक पहुंचा कारोबार
वीरेंद्र ने शुरुआती पूछताछ में बताया कि दोनों भाई किराए के मकान में रहते थे और शुरुआत अंडे का ठेला लगाने से की। इसके बाद किराए का ऑटो चलाया, फिर थोड़ा पैसा जुड़ा तो अपना ऑटो खरीदा, और फिर फल का ठेला शुरू किया। इसी दौरान जमा हुई रकम से छोटे कारोबारियों—खोमचा, ठेला, और फुटपाथ विक्रेताओं—को रकम ब्याज पर देना शुरू किया, जो बाद में “Illegal Lending Network” (“Illegal Lending Network”) में बदल गया। पुलिस मानती है कि यह कहानी अधूरी है और कई अहम बिंदु जानबूझकर छिपाए जा रहे हैं।
चुनाव की तैयारी में था, राजनीतिक पकड़ बनाने की कोशिश कर रहा था
सूत्रों के अनुसार, वीरेंद्र हाल ही में विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा था। वह कई राजनीतिक संपर्कों में सक्रिय था और धार्मिक-सामाजिक कार्यक्रमों में लगातार दिखने लगा था। बीते कुछ वर्षों में उसने सूदखोरी से दूरी बनाने का दिखावा किया, लेकिन यह काम उसके भाई रोहित और भतीजे दिव्यांश के जरिए जारी रहा। पुलिस अब इस दिशा में भी जांच कर रही है कि राजनीतिक गतिविधियों के बीच उसकी वित्तीय स्थिति अचानक कैसे बढ़ी।
