सीजी भास्कर, 12 अगस्त। राजधानी रायपुर में सार्वजनिक शौचालय सुविधाएं बुरी तरह प्रभावित हो गई हैं। पहले ही 32 ई-टॉयलेट बंद पड़े थे, और अब प्रमुख स्थानों पर बने 13 स्मार्ट टॉयलेट पर भी ताले लटक गए हैं।
इस वजह से शहर के कई इलाकों में गंदगी और खुले में शौच की समस्या तेजी से बढ़ रही है।
ठेकेदार और नगर निगम का विवाद
नगर निगम रायपुर ने स्मार्ट टॉयलेट के संचालन और रखरखाव का ठेका ग्रेसफुल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को दिया था। राजस्व साझा मॉडल के तहत कंपनी को विज्ञापन से होने वाली आय से टॉयलेट चलाना था, लेकिन लगभग 27 करोड़ रुपये के चेक बाउंस होने और वित्तीय जिम्मेदारियां पूरी न करने पर निगम ने फरवरी में कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया।
बिजली बिल बकाया, सेवा ठप
कंपनी लाखों रुपये के बिजली बिल भी नहीं चुका पाई।
शास्त्री बाजार सब्जी मंडी स्थित ई-टॉयलेट का ही ₹53,000 का बिल बकाया है। करीब दो महीने से यहां ताला लगा है, जबकि प्रतिदिन 10–15 हजार लोग इस इलाके से गुजरते हैं। यह वहां का एकमात्र सार्वजनिक सुविधा केंद्र था।
बढ़ती गंदगी और बदबू
स्मार्ट टॉयलेट बंद होने के बाद लोग मजबूरी में खुले में शौच करने लगे हैं। आसपास के दुकानदारों का कहना है कि ग्राहक भी दुकानों के पीछे टॉयलेट कर रहे हैं, जिससे माहौल अस्वच्छ और बदबूदार हो गया है।
वैकल्पिक व्यवस्था का अभाव
नगर निगम ने ठेकेदार पर कार्रवाई तो की, लेकिन टॉयलेट सेवा बहाल करने के लिए कोई अस्थायी व्यवस्था नहीं की।
कोर्ट परिसर में बंद पड़े टॉयलेट को जोन अधिकारियों ने बिजली बिल चुकाकर चालू किया था, लेकिन शास्त्री बाजार और अन्य जगहों पर ऐसा कदम नहीं उठाया गया।
जनता की मांग
स्थानीय निवासियों और व्यापारियों का कहना है कि नगर निगम को तुरंत बंद पड़े टॉयलेट फिर से चालू करने चाहिए।
उनका मानना है कि स्वच्छ भारत अभियान के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सार्वजनिक शौचालयों का संचालन बिना रुकावट जारी रहना चाहिए।