सीजी भास्कर, 09 अक्टूबर। चर्चित महादेव सट्टा एप (Mahadev Betting App) मामले में करीब ढाई साल से रायपुर सेंट्रल जेल में बंद 12 आरोपितों को आखिरकार राहत की सांस मिली है। देश की सर्वोच्च अदालत ने मंगलवार को इनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी को रिहाई का आदेश दिया।
जस्टिस एम.एम. सूदरैश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि अब तक जांच एजेंसियों द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य “प्रारंभिक स्तर” के हैं, और ऐसे में आरोपितों को न्यायिक प्रक्रिया के तहत राहत देना उचित है। अदालत ने स्पष्ट किया कि “जमानत का अर्थ दोषमुक्ति नहीं है, लेकिन लंबे समय से हिरासत में रह रहे आरोपितों के साथ न्याय होना चाहिए।”
दो साल से अधिक समय से चल रही न्यायिक हिरासत
इन आरोपितों में निलंबित एएसआई चंद्रभूषण वर्मा, सतीश चंद्राकर, कांस्टेबल भीम सिंह यादव, अर्जुन यादव, सुनील दम्मामी, अमित अग्रवाल, रितेश यादव, भारत ज्योति, विश्वजीत राय, राहुल वकटे और नीतीश दीवान शामिल हैं।
सभी को वर्ष 2022 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वे रायपुर सेंट्रल जेल में न्यायिक हिरासत में थे।
जांच एजेंसियों की आपत्ति, फिर भी मिली राहत
सुनवाई के दौरान सीबीआई (CBI) ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि जांच अभी अधूरी है और आरोपितों की रिहाई से साक्ष्यों से छेड़छाड़ की आशंका बनी रहेगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह तर्क अस्वीकार करते हुए कहा कि “जांच एजेंसियों को पर्याप्त समय मिल चुका है और किसी को अनिश्चितकाल तक जेल में रखना न्यायोचित नहीं।”
मामला कैसे पहुंचा सुप्रीम कोर्ट तक
महादेव सट्टा एप (Mahadev Betting App) की जांच प्रारंभ में ईडी (Enforcement Directorate) और ईओडब्ल्यू-एसीबी (Economic Offence Wing – Anti Corruption Bureau) द्वारा की गई थी। बाद में मामला सीबीआई के पास पहुंचा, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले इस नेटवर्क को लेकर नई जांच शुरू की।
अदालत में दायर दस्तावेज़ों के अनुसार, यह एप ऑनलाइन सट्टेबाजी और मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से करोड़ों रुपये का लेनदेन करता था।
दुबई से ऑपरेट होता था पूरा नेटवर्क
जांच एजेंसियों का कहना है कि इस एप के मुख्य संचालक सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल, दोनों ही मूल रूप से छत्तीसगढ़ के निवासी हैं, जो फिलहाल दुबई में रहकर नेटवर्क (Mahadev Betting App) का संचालन कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, भारत में अर्जित अवैध रकम को हवाला और क्रिप्टोकरेंसी के ज़रिए विदेशों में ट्रांसफर किया जाता था।
ईडी की रिपोर्ट बताती है कि यह नेटवर्क 28 राज्यों में सक्रिय है। अब तक एजेंसी ने 417 करोड़ रुपये की संपत्तियाँ जब्त की हैं और कई कारोबारी, तकनीकी एजेंट तथा मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल व्यक्तियों से पूछताछ जारी है।
छत्तीसगढ़ में हुई बड़ी कार्रवाई
रायपुर और दुर्ग में हुई संयुक्त कार्रवाई में पुलिस ने 25 मोबाइल फोन, 18 लैपटॉप, बैंक खातों और करोड़ों रुपये के संपत्ति दस्तावेज़ जब्त किए। एजेंसियों को संदेह है कि सट्टेबाजी से हुई कमाई का एक हिस्सा राजनीतिक और मनोरंजन जगत में भी इस्तेमाल हुआ था।
राजनीतिक गलियारों में मचा हलचल
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश की राजनीति में भी हलचल तेज हो गई है।
विपक्ष ने आरोप लगाया कि “यह फैसला उस सिस्टम की देन है, जिसने ऑनलाइन सट्टेबाजी को संरक्षण दिया।”
वहीं सत्ता पक्ष का कहना है कि सरकार “पारदर्शी जांच और न्यायिक प्रक्रिया” का सम्मान करती है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तलाश जारी
सूत्रों के अनुसार, अब भारत सरकार इंटरपोल (Interpol) के माध्यम से सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया तेज कर रही है। दोनों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस (Red Corner Notice) जारी करने की तैयारी चल रही है। ईडी और सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी आने वाले दिनों में दुबई से जुड़ी कई वित्तीय लेनदेन श्रृंखलाओं का विश्लेषण करने वाले हैं।