जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में माओवादियों ने एक बार फिर अपनी बर्बरता दिखाई। सोमवार देर रात केरलापाल थाना क्षेत्र के सिरसिट्टी गांव में नक्सलियों ने दो ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया।
घटना के समय गांव में दहशत का माहौल बन गया और महिलाओं व बच्चों की चीखें गूंज उठीं।
“पति को मत मारो…” – पत्नी की गुहार रही बेअसर
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार रात करीब 10 बजे करीब 40 से 50 सशस्त्र नक्सली गांव में पहुंचे। वे सीधे ग्रामीण पदाम देवेंद्र और पदाम पोज्जा के घरों में घुस गए। नक्सलियों ने दोनों के हाथ बांध दिए और उन्हें पुलिस का मुखबिर बताते हुए घर से बाहर खींच लाए।
जब बंदूकधारी नक्सली देवेंद्र को घसीट रहे थे, उसकी पत्नी रिंकी बच्चों को लेकर बाहर आ गई और पैरों में गिरकर रहम की भीख मांगने लगी। लेकिन महिला माओवादियों ने उसे डंडों से पीटा और धक्का देकर गिरा दिया।
इसके बाद नक्सलियों ने पहले पोज्जा का गला दबाकर हत्या की और फिर देवेंद्र के सिर पर कुल्हाड़ी से वार कर उसकी जान ले ली। बच्चों और बुजुर्ग मां की चीखें गांव में गूंजती रहीं।
बुजुर्ग मां और ग्रामीण भी बने शिकार
देवेंद्र की बुजुर्ग मां बेटे को बचाने दौड़ीं तो नक्सलियों ने उन्हें भी बंदूक के बट से पीट दिया। वहीं गांव के एक अन्य व्यक्ति माडा को भी बेरहमी से मारा गया।
वारदात के बाद माओवादी पर्चे फेंककर भाग निकले, जिनमें दोनों मृतकों को पुलिस को जानकारी देने वाला बताया गया था।
शव लाने में ग्रामीणों को करनी पड़ी मशक्कत
घटना के बाद गांव में मातम पसरा हुआ है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क न होने के कारण शवों को खाट पर रखकर आधा रास्ता पैदल तय करना पड़ा।
बीच में दो नाले आने पर शवों को पानी में तैराकर पार कराया गया और फिर वाहन से थाने लाया गया। इसके बाद पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौंपे गए।
इस बर्बर घटना ने एक बार फिर सवाल खड़ा किया है कि निर्दोष ग्रामीण आखिर कब तक नक्सली हिंसा का शिकार बनते रहेंगे।