झांसी :
झांसी के मऊरानीपुर क्षेत्र में एक बेहद अनोखा और भावनात्मक विवाह समारोह देखने को मिला, जिसने न केवल लोगों को चौंकाया बल्कि उन्हें भक्ति और त्याग के नए आयामों से भी परिचित कराया। यहां चार युवतियों ने न तो फेरे लिए, न ही कोई दूल्हा था, फिर भी विधिवत रूप से विवाह संपन्न हुआ — और वह भी भगवान शिव से।
यह आध्यात्मिक आयोजन ब्रह्माकुमारी आश्रम की ओर से मऊरानीपुर स्थित कुंज बिहारी पैलेस में आयोजित किया गया। विवाह में शामिल रहीं युवतियां — रेखा, वरदानी, कल्याणी और आरती — दुल्हन की पारंपरिक वेशभूषा में सजी थीं और उन्होंने पूरी श्रद्धा और वैदिक रीति-रिवाजों के साथ शिवलिंग को वरमाला पहनाकर जीवनभर ब्रह्मचर्य, सेवा और साधना का संकल्प लिया।
शादी में नहीं थे दूल्हे, फिर भी रही पूरी परंपरा
इस विवाह समारोह में कोई पुरुष वर नहीं था, लेकिन आयोजन में पारंपरिक विवाह की हर रस्म निभाई गई। शिवलिंग को प्रतीकात्मक दूल्हा मानते हुए उनके सिर पर पगड़ी बांधी गई, और बारात में भगवान शिव के वाहन नंदी की झांकी भी शामिल रही। ढोल-नगाड़े, भजन-कीर्तन और मंत्रोच्चारण के बीच पूरा माहौल आध्यात्मिक रंग में रंग गया।
त्याग और सेवा की राह पर चारों दुल्हनें
चारों युवतियां स्नातक (ग्रेजुएट) हैं और आत्मिक शांति की तलाश में सांसारिक जीवन को त्यागकर भक्ति और सेवा का मार्ग चुन चुकी हैं। ब्रह्माकुमारी आश्रम के प्रतिनिधियों ने बताया कि यह विवाह सांसारिक बंधनों से ऊपर उठकर आत्मा और परमात्मा के एकत्व की ओर बढ़ने का प्रतीक है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह निर्णय युवतियों का व्यक्तिगत चयन है, जो समाज सेवा, संयम और अध्यात्म के प्रति उनकी गहरी निष्ठा को दर्शाता है।
जनसमूह बना गवाह इस भक्ति विवाह का
समारोह में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और श्रद्धालु उपस्थित थे। इस अनोखे विवाह ने सभी को भावुक कर दिया और समाज में एक प्रेरणादायक संदेश भी छोड़ा कि सच्चा रिश्ता आत्मा और परमात्मा के बीच का होता है, जो किसी सांसारिक बंधन से नहीं बंधा होता।