सीजी भास्कर 20 नवम्बर श्री आनंदपुर साहिब में इस वर्ष ऐसा धार्मिक आयोजन शुरू हो रहा है, जिसने पूरे पंजाब में एक नया आध्यात्मिक उत्साह भर दिया है। Martyrdom Anniversary के रूप में मनाए जा रहे इस तीन दिवसीय समागम का उद्देश्य सिर्फ इतिहास को याद करना नहीं, बल्कि उस विरासत को महसूस करना है जिसने पंजाब को दुनिया भर में पहचान दिलाई।
23 से 25 नवंबर 2025 तक चलने वाले इस आयोजन का मुख्य आकर्षण श्री गुरु तेग बहादुर जी, भाई मती दास जी, भाई सती दास जी और भाई दयाला जी के 350वें शहीदी दिवस को समर्पित विशेष Sacred Exhibition है।
Sikh Heritage: अखंड पाठ से शुरू होगा आध्यात्मिक माहौल
समागम की शुरुआत 23 नवंबर की सुबह अखंड पाठ से होगी। भक्ति, शांत वातावरण और श्रद्धा से भरे इस क्षण में बड़ी संख्या में संगत की उपस्थिति रहने वाली है। यह वो पल है जो हर बार सिख इतिहास के उस अध्याय की याद दिलाता है, जहां गुरु तेग बहादुर जी ने मानवता की खातिर अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था।
प्रदर्शनी में गुरु साहिबान के जीवन, संघर्ष और विचारों से जुड़ी दुर्लभ झलकियां दिखाई जाएंगी, जिससे युवाओं और बच्चों को अपनी जड़ों से सीधा जुड़ने का अवसर मिलेगा।
Punjab Legacy: सर्व धर्म सम्मेलन भाईचारे का संदेश देगा
23 नवंबर को ही दोपहर सर्व धर्म सम्मेलन रखा गया है। इसमें विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधि एक मंच पर एक-दूसरे के विचार सुनेंगे और साझा करेंगे कि किस तरह पंजाबी सभ्यता हमेशा से “सभी के लिए सम्मान” की भावना को आगे बढ़ाती रही है।
यह सम्मेलन इस सोच को मजबूत करता है कि सिख धर्म केवल एक आस्था नहीं बल्कि संपूर्ण मानवता की रक्षा और सेवा का मार्ग है—Punjab Legacy को दुनिया भर तक पहुंचाने वाला मार्ग।
इतिहास को महसूस कराने वाला विरासत-ए-खालसा टूर और Drone Show
शाम के समय श्रद्धालु और आम लोग विरासत-ए-खालसा तथा आसपास के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों का गाइडेड टूर करेंगे। यह उन स्थानों को करीब से देखने का अवसर देता है जहां पंजाब की असली आत्मा बसती है।
रात को होने वाला ड्रोन शो कार्यक्रम की सुंदरता को और बढ़ा देगा। रोशनी, आकृतियों और रंगों के जरिए गुरु तेग बहादुर जी की शहादत, खालसा पंथ की स्थापना और पंजाब की गौरवमयी यात्रा को आधुनिक अंदाज़ में पेश किया जाएगा।
तीन दिवसीय कार्यक्रम में भक्ति, सेवा और संगत का संगम
तीन दिनों तक कथा, कीर्तन, भक्ति और सेवा के माध्यम से ऐसा वातावरण बनेगा जो हर आने वाले व्यक्ति के भीतर एक नया भाव जगाता है। श्रद्धालुओं का कहना है कि इस बार का आयोजन न सिर्फ भव्य है बल्कि भावनात्मक रूप से भी बहुत अधिक प्रभावी है।
यह समागम इस सोच को फिर दोहराता है कि सिख इतिहास सिर्फ पढ़ने की नहीं, बल्कि जीने की विरासत है—एक ऐसी विरासत जो साहस, बलिदान और मानवता की मिसाल है।
