सीजी भास्कर, 27 मार्च। Eid 2025: बीजेपी विधायक करनैल सिंह ने पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा को चिट्ठी लिखकर कहा है कि सड़क पर नमाज पढ़ने से यातायात बाधित होता है जिससे लोगों को असुविधा होती है। इस पर मौलाना साजिद रशीदी ने कहा कि आजादी के बाद से और उसके पहले से भी सब चीज होती आई हैं, जगराते भी सड़क पर हुए हैं, कावड़ यात्रा भी सड़क पर निकलती है जितने भी हिंदू धर्म के त्योहार हैं उनके जुलूस निकलते हैं वह सब सड़कों पर ही निकलते हैं। किसी मुसलमान ने आज तक कोई शिकायत किसी के खिलाफ नहीं की बल्कि उन जुलूस और उन त्यौहारों में शामिल होते हैं।
‘हिंदु नमाज के लिए सड़कों की धुलाई करते हैं’
मौलाना साजिद रशीदी ने कहा कि नमाजें भी होती आई हैं। हमने देखा है कि पहाड़गंज जैसे इलाके में ईद की नमाज के लिए वहां के हिंदू खुद सड़कों की धुलाई सफाई करते हैं. हमारे देश का जो एक कल्चर है एक सभ्यता है, उसको तोड़ने की यह नापाक कोशिश है. हम हिंदुस्तान में रहते हैं, यह यूरोप नहीं है। हमारे अंदर जो यूरोपियन कल्चर आता जा रहा है उससे आदमी अलग हो रहा है।
टीवी पर आने के लिए बयान देते हैं नेता- मौलाना रशीदी
उन्होंने आगे कहा, ”एक दूसरे से मोहब्बत दूर हो रही है. जो आजकल के राजनेता हैं , जिनको टीवी पर आने का शौक है वह इस तरह के बयान देते हैं जिससे वह टीवी पर तो आ जाते हैं लेकिन इसका दूरगामी परिणाम यह होता है कि कुछ लोगों में नफरत बैठ जाती है. यह कहीं ना कहीं देश को तोड़ने की तरफ जा रहे हैं. इनको पता नहीं कि हम क्या कर रहे हैं. इनको अभी एहसास नहीं है जब यह टूटेगा.”
मस्जिदों में नमाज पढ़ लें मुसलमान – मौलाना रशीदी
मौलाना साजिद रशीदी ने कहा, ”कैसे रद्द हो जाएगा. ऐसा कौन सा कानून है. यह कोई ऑफेंस नहीं है कम्युनल ऑफेंस नहीं है. कुछ आईएएस, आईपीएस अफसर को नेता बनने का जुनून चढ़ गया है. जिस तरह से नेता बयान देते थे. इस तरह से वह बयान देने लगे. जिन्होंने यह बयान दिया है उनको शायद संविधान का ज्ञान नहीं है और मैं तो समझता हूं कि देश के कानून का भी ज्ञान नहीं है. मैं एक चीज और मुसलमानों से भी कहना चाहता हूं कि हालत की नजाकत को समझते हुए मस्जिदों में नमाज पढ़ लें. सड़कों से जितना बचा जा सके, बचें.”
‘कोई मंत्री आ जाए तो घंटा-घंटा सड़क जाम रहता है’
उन्होंने मंत्रियों के काफिले पर लगने वाले जाम का विषय उठाते हुए कहा, “ईद साल में एक बार आती है और उसकी नमाज में 15-20 मिनट आधा घंटा मान लीजिए, आधा घंटा लगता है आधे घंटे में ऐसा कौन सा ट्रैफिक है जो बाधित हो जाएगा. अगर कोई मिनिस्टर आ जाए तो घंटा-घंटा सड़क जाम रहता है उसे पर तो आप कुछ नहीं बोलते. ईद साल में एक बार आती है और उसकी नमाज में 15-20 मिनट या आधा घंटा लगता है.”