सीजी भास्कर17 नवम्बर मैनपुरी में एक सामान्य एक्सीडेंट के बाद जो इलाज उम्मीद बनकर शुरू हुआ, वही आगे चलकर युवक मेघनाथ के लिए बड़ी त्रासदी बन गया। परिजनों ने बताया कि कुछ दिन पहले हुए सड़क हादसे के बाद घायल युवक को जल्दबाज़ी में पास के एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों द्वारा की गई गंभीर लापरवाही ने उसकी परेशानी और बढ़ा दी। परिवार अब इस पूरे मामले को स्पष्ट रूप से medical negligence मान रहा है।
गलत नसें जोड़ने का आरोप—परिवार बोला, “इलाज नहीं, मुसीबत मिली”
परिवार के सदस्य अशोक ने बताया कि निजी अस्पताल में डॉक्टरों ने खुद को विशेषज्ञ बताते हुए मेघनाथ का हाथ ऑपरेट किया, इलाज के नाम पर लगभग 30,000 रुपये लिए, और पाँच दिनों तक भर्ती रखने के बाद मरीज को छुट्टी दे दी गई। घर लौटते ही मेघनाथ की हालत बिगड़ने लगी—हाथ में असामान्य दर्द, सूजन और रंग बदलने जैसी दिक्कतें दिखीं।
दूसरे अस्पताल में जांच के बाद पता चला कि हाथ की नसें गलत तरीके से जोड़ दी गई थीं, जिसकी वजह से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया था। जांच करने वाले डॉक्टरों ने यह स्थिति सीधे-सीधे “wrong vein connection ” बताते हुए कहा कि जान बचाने के लिए हाथ काटना पड़ेगा।
Medical Negligence Case: संक्रमण बढ़ने से बढ़ा खतरा—बचाई गई जान, पर गया हाथ
जब दूसरे डॉक्टरों ने संक्रमण का स्तर देखा, तो परिवार को बताया गया कि देरी होने पर यह संक्रमण खून में फैल सकता है। ऐसे में ज़िंदगी को भारी खतरा हो सकता है। डॉक्टरों ने कहा कि हाथ को बचाना अब संभव नहीं है और मरीज की जान बचाने के लिए कटाना आवश्यक है।
परिवार के लिए यह फैसला आसान नहीं था, लेकिन हालत गंभीर होने के कारण सर्जरी कर युवक का हाथ काटना पड़ा। अब परिवार का कहना है कि इस पूरी घटना का कारण अस्पताल की clinical error है।
परिजनों की गुहार—जांच और कार्रवाई की मांग
मेघनाथ के भाई अशोक ने इस मामले की लिखित शिकायत जिला प्रशासन को दी है। परिवार का आरोप है कि जिन दो लोगों ने खुद को डॉक्टर बताया, उनके काम करने का ढंग, जरूरी दस्तावेजों की कमी और ऑपरेशन के बाद की देखभाल पर उठे सवाल अब इस मामले को और गंभीर बनाते हैं।
परिजनों का कहना है कि अगर समय पर सही इलाज मिलता, तो मेघनाथ एक हाथ नहीं खोता। परिवार अब इस घटना की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहा है।
Medical Negligence Case: स्थानीय स्तर पर बढ़ी चर्चा—लापरवाही पर कड़े सवाल
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में भी नाराज़गी है कि बिना सही योग्यता और बिना उचित प्रोटोकॉल के इलाज कर रहे कुछ अस्पतालों की वजह से आम लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इस मामले ने एक बार फिर छोटे शहरों और कस्बों में चल रही निजी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
