21 जून 2025 :
Shiv Sena UBT on Eknath Shinde Shiv Sena: महाराष्ट्र की राजनीति में आज कल अंधविश्वास और टोटकों की चर्चा जोरों पर है. शिवसेना (UBT) के मुखपत्र सामना में छपे संपादकीय ‘घातियों के टोटके!’ ने उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके गुट के मंत्री भरत गोगावले पर तीखा हमला किया है.
संपादकीय में हाल ही में वायरल हुई गोगावले की अघोरी पूजा करते हुए एक फोटो का हवाला देते हुए कहा गया कि प्रगतिशील महाराष्ट्र को अब श्मशान और खोपड़ियों के बीच झोंका जा रहा है. इस फोटो में मंत्री को लगभग नग्न अवस्था में मानव खोपड़ियों, नींबू-मिर्च और हड्डियों के बीच अघोरी बाबा के सामने बैठा दिखाती है, जो पूरे राज्य में चर्चा का विषय बनी हुई है.
एकनाथ शिंदे के बयानों पर बोला हमला
संपादकीय में उद्धव ठाकरे के बयानों पर ध्यान देते हुए लिखा गया है कि शिवसेना और ठाकरे ब्रांड को मिटाने का सपना भी शिंदे गुट नहीं देख सकता. ठाकरे ने चेताया कि जो लोग उन्हें खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं, वे खुद अपनी हार की ओर बढ़ रहे हैं. शिंदे द्वारा “मरे हुए को मारने से क्या मिलेगा?” जैसे बयानों को मानसिक कुंठा का प्रतीक बताते हुए सामना ने लिखा कि शिंदे गुट की हालत अब मृतप्राय हो चुकी है, और उनके नेता रात के अंधेरे में दिल्ली जाकर फडणवीस और अमित शाह से फरियाद करते हैं.
विपक्ष पर लगाए कई बड़े आरोप
तीसरे पैराग्राफ में सामना ने शिंदे गुट पर तीखे शब्दों में हमला करते हुए कहा कि अमित शाह ने पार्टी का चिह्न चुराकर शिंदे को दिया और अब वही शाह महाराष्ट्र के ‘दुश्मन नंबर एक’ हैं. संपादकीय में यह भी आरोप लगाया गया कि शाह, फडणवीस और अन्य बड़े उद्योगपतियों की साजिश है कि मराठी मानुष को धारावी समेत मुंबई से बाहर किया जाए और वहां व्यापारिक राज कायम किया जाए. इस ‘मेगा डील’ में शिंदे को केवल एक दलाल की भूमिका में बताया गया है
अंतिम पैराग्राफ में सामना ने शिंदे पर सीधे निशाना साधते हुए कहा कि उनके पास न अपनी पार्टी है, न अपना नेतृत्व और न ही विचारधारा. संपादक में लिखा, “पहली दफा महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में नींबू, मिर्च, पिन और खोपड़ी को महत्व मिलने लगा है. यह शिंदे की उपलब्धि है. उसी शिंदे ने एक बार फिर बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना को गाड़ने की बात कही है. वे उन्हीं को दफनाने की बात करते हैं जिनका नमक खाकर वे इस पद पर पहुंचे हैं. यह पतन के निम्नतम स्तर पर पहुंचने का उदाहरण है. शिंदे के पास अपना कुछ भी नहीं है. चुराई हुई पार्टी, चुराया हुआ बाप, यहां तक कि अमित शाह का नेतृत्व भी किराए का है, राजनीति में लाया गया पैसा भी चोरी का है. वे ऐसा नहीं सोचते इसलिए खुद बेईमानी को प्रतिष्ठित करने के लिए अघोरी नाच होगा ही. उन्हें ऐसा करते रहना चाहिए.