सीजी भास्कर, 29 जुलाई।
चंदौली, उत्तर प्रदेश – सावन के पावन महीने में भगवान शिव की भक्ति चरम पर है, और इसी बीच चंदौली जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने पूरे क्षेत्र को आस्था, भाईचारे और सौहार्द की मिसाल में बदल दिया है।
अलीनगर थाना क्षेत्र के धपरी गांव में एक मुस्लिम परिवार की निजी ज़मीन से शिवलिंग प्रकट हुआ है। ज़मीन की खुदाई के दौरान यह प्राचीन शिवलिंग सामने आया और देखते ही देखते यह स्थान भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बन गया।
खुदाई में मिला शिवलिंग, गाँव में मची हलचल
धपरी निवासी सकलैन हैदर ने अपनी पुश्तैनी ज़मीन का एक हिस्सा अपने रिश्तेदार अख्तर अंसारी को रजिस्ट्री किया था। जब अख्तर ने नींव खोदने का काम शुरू कराया तो 25 जुलाई की शाम, मिट्टी के नीचे एक गोल आकृति नजर आई। नज़दीक जाकर देखने पर वह कोई सामान्य पत्थर नहीं बल्कि साफ-सुथरे आकार का शिवलिंग निकला।
शिवलिंग की आकृति इतनी स्पष्ट और पूर्ण थी कि ग्रामीणों ने उसे प्राचीन और दिव्य मानकर पूजा शुरू कर दी। इसके बाद आसपास के गांवों से लोग वहां पहुंचने लगे और जगह-जगह भजन-कीर्तन, जलाभिषेक शुरू हो गया।
मुस्लिम परिवार ने दिखाई मिसाल, मंदिर के लिए दी ज़मीन
स्थिति को देखते हुए जब गांववालों ने मांग रखी कि वहीं मंदिर बनना चाहिए, तो सकलैन हैदर ने अपने परिवार के साथ बातचीत कर स्वेच्छा से 1 बिस्वा ज़मीन मंदिर निर्माण के लिए दान करने की घोषणा कर दी।
सकलैन हैदर ने मीडिया से कहा:
“यह ज़मीन हमारी है, लेकिन शिवलिंग का निकलना सिर्फ हिंदुओं की नहीं, हमारी भी आस्था से जुड़ा है। हमने फैसला किया है कि एक बिस्वा भूमि मंदिर के लिए दे देंगे। यही असली भारत है — जहाँ धर्म नहीं, इंसानियत जुड़ाव तय करती है।”
प्रशासन और विधायक मौके पर पहुँचे, हुआ स्थल का नाप-जोख
जैसे ही घटना की खबर फैली, स्थानीय विधायक और प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। विधायक के सामने मंच से सकलैन हैदर ने सार्वजनिक रूप से मंदिर के लिए ज़मीन देने की बात दोहराई। इसके बाद प्रशासन ने नाप-जोख कर ज़मीन को मापा और आगामी कार्यवाही शुरू कर दी।
ग्रामीणों ने जताया आभार, शिवलिंग को बताया बैजनाथ का स्वरूप
स्थानीय ग्रामीण नीरज त्रिपाठी ने कहा, “सकलैन भाई ने जो फैसला लिया है, वो समाज के लिए प्रेरणा है।” वहीं ग्रामीण संदीप सिंह ने बताया, “शिवलिंग का स्वरूप बेहद दुर्लभ है, ऐसा लगता है जैसे यह बाबा बैजनाथ के स्वरूप से जुड़ा कोई ऐतिहासिक प्रतीक हो।”
अब यह स्थान एक आस्था केंद्र बन चुका है, जहां प्रतिदिन हज़ारों श्रद्धालु जलाभिषेक करने आ रहे हैं। महिलाएं भजन-कीर्तन कर रही हैं और पूरा गांव एक धार्मिक मेले में बदल चुका है।