सीजी भास्कर, 25 जून |
छत्तीसगढ़ में मौसम विभाग ने सभी जिलों के लिए आज यलो अलर्ट जारी किया है। सरगुजा और बिलासपुर संभाग के जिलों में भारी बारिश की संभावना है। इनमें सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर, जशपुर, कोरिया, मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, कोरबा, गौरेला-पेंड्रा-मारवाही, सक्ती, सारंगढ़-बिलाईगढ़ और कबीरधाम शामिल हैं।
वहीं प्रदेश के अन्य जिलों में गरज चमक के साथ बिजली गिरने की भी चेतावनी है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक अगले 6 दिनों तक मानसून का सबसे अधिक प्रभाव उत्तर छत्तीसगढ़ के जिलों में दिखेगा। वहीं दक्षिण और मध्य छत्तीसगढ़ के कुछ स्थानों पर बारिश हो सकती है। मंगलवार की बात करें तो सबसे अधिक तापमान 32.4°C दुर्ग का रहा।
रायपुर में पड़ीं हल्की बौछारें
रायपुर में मंगलवार सुबह कुछ इलाकों में बौछारें पड़ीं। दिनभर बादल छाए रहे। इससे पहले सोमवार को बिलासपुर में तेज बारिश हुई थी। वहीं रायगढ़ में भी बौछारें पड़ीं। यहां दोपहर के वक्त मौसम बदला और ठंडी हवाओं के साथ पानी बरसा।
पिछले दस दिनों में 25.25 मिमी औसत बारिश
राज्य में पिछले 10 दिनों में 25.25 मिमी औसत बारिश दर्ज की गई है। हफ्तेभर पहले बस्तर में अटका मानसून रायपुर से होते हुए सरगुजा पहुंचा था। इसके बाद से ही प्रदेश के अलग-अलग स्थानों में बारिश का दौर जारी है।
64 साल के इतिहास में पहली बार मई में पहुंचा मानसून
इससे पहले छत्तीसगढ़ में नौतपे के बीच मानसून की एंट्री हो गई थी। प्रदेश में मानसून के पहुंचने की नॉर्मल डेट 13 जून है। लेकिन इस बार 16 दिन पहले ही मानसून ने दस्तक दे दी थी। वहीं 64 साल के इतिहास में ये पहली बार है, जब मानसून मई माह में छत्तीसगढ़ पहुंचा था। इससे पहले साल 1971 में 1 जून को मानसून पहुंचा था।
जून में अब तक सामान्य से कम बारिश
ओवर ऑल जून महीने की बात करें तो प्रदेश में अब तक कुल 41.0 मिमी औसत वर्षा हुई है, जबकि सामान्य औसत 81.0 मिमी होती है। यानी लगभग आधी बारिश ही अब तक हुई है। बलरामपुर इकलौता जिला है जहां नॉर्मल से बहुत अधिक बारिश हुई है।
वहीं दंतेवाड़ा ऐसा जिला है जहां सामान्य बारिश हुई है। 26 जिलों में वर्षा सामान्य से कम रही है। इनमें से 17 जिलों में कम और 9 जिलों में कम बारिश दर्ज की गई। हालांकि मौसम विभाग की माने तो जून का ट्रेंड यही रहा है।
शुरुआती 10 से 12 दिन गर्मी बढ़ती है। इसके बाद बंगाल की खाड़ी या अरब सागर में बनने वाले लो प्रेशर एरिया या चक्रवातों के चलते मानसून सक्रिय हो जाता है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है।
मई में 374 फीसदी ज्यादा बारिश हुई थी
पिछले माह लगातार बने सिस्टम और करीब 14 दिन पहले आए मानसून ने पूरे छत्तीसगढ़ में मई महीने में जमकर बारिश कराई। इस दौरान औसत से 373 फीसदी ज्यादा पानी गिर गया। इसके बाद से मानसून पिछले करीब 12 दिनों से ठहरा है। यह आगे ही नहीं बढ़ रहा है।
छत्तीसगढ़ में 22 मई से 28 मई के बीच 53.51 मिलीमीटर औसत बारिश हो चुकी है। प्रदेश में मानसून में औसतन 1200 मिलीमीटर पानी बरसता है। पिछले साल 1276.3 MM पानी गिरा था।
पिछले साल के मुकाबले तापमान कम
हालांकि इस बार की स्थिति पिछले साल के मुकाबले बेहतर है। साल 2024 में जून का अधिकतम तापमान 45.7°C था, जो 1 जून को दर्ज किया गया था। जबकि इस साल अधिकतम तापमान अब तक 42 से 43°C के आस-पास ही रहा है।
वहीं सबसे कम न्यूनतम तापमान 23.5°C 19 जून को रिकॉर्ड किया गया था। पिछले साल जून में पूरे महीने के औसत तापमान की बात करें तो 38.6°C रहा था। वहीं न्यूनतम औसतन तापमान 27.7°C दर्ज किया गया था।
लंबा रह सकता है मानसून
मानसून के केरल पहुंचने की सामान्य तारीख 1 जून है। इस साल 8 दिन पहले यानी 24 मई को ही केरल पहुंच गया। मानसून के लौटने की सामान्य तारीख 15 अक्टूबर है। अगर इस साल अपने नियम समय पर ही लौटता है तो मानसून की अवधि 145 दिन रहेगी। इस बीच मानसून ब्रेक की स्थिति ना हो तो जल्दी आने का फायदा मिलता सकता है।
इसलिए बिजली गिरती है
दरअसल, आसमान में विपरीत एनर्जी के बादल हवा से उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं। ये विपरीत दिशा में जाते हुए आपस में टकराते हैं। इससे होने वाले घर्षण से बिजली पैदा होती है और वह धरती पर गिरती है। आकाशीय बिजली पृथ्वी पर पहुंचने के बाद ऐसे माध्यम को तलाशती है जहां से वह गुजर सके।
अगर यह आकाशीय बिजली, बिजली के खंभों के संपर्क में आती है तो वह उसके लिए कंडक्टर (संचालक) का काम करता है, लेकिन उस समय कोई व्यक्ति इसकी परिधि में आ जाता है तो वह उस चार्ज के लिए सबसे बढ़िया कंडक्टर का काम करता है। जयपुर में आमेर महल के वॉच टावर पर हुए हादसे में भी कुछ ऐसा ही हुआ।
आकाशीय बिजली से जुड़े कुछ तथ्य जो आपके लिए जानना जरूरी
- आकाशीय बिजली का तापमान सूर्य के ऊपरी सतह से भी ज्यादा होता है। इसकी क्षमता तीन सौ किलोवॉट मतलब 12.5 करोड़ वॉट से ज्यादा चार्ज की होती है। यह बिजली मिली सैकेंड से भी कम समय के लिए ठहरती है।
- यह मनुष्य के सिर, गले और कंधों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है।
- दोपहर के वक्त इसके गिरने की आशंका ज्यादा होती है।
आकाशीय बिजली से जुड़े मिथ
- आकाशीय बिजली के एक चीज पर दो बार नहीं गिरती।
- रबर, टायर या फोम इससे बचाव कर सकते हैं।
- अगर कोई नाव चला रहा हो तो बाहर आ जाना चाहिए।
- लम्बी चीजें आकाशीय बिजली से बचाव करती हैं।