सीजी भास्कर, 28 मार्च। MP High Court On Bhopal Rape Case: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने साल 2023 के एक रेप केस में अहम फैसला सुनाया है. इस फैसले में कहा गया कि महिला रेप नहीं कर सकती, लेकिन वह रेप के लिए उकसाने की दोषी हो सकती है. इस फैसले के तहत आरोपी महिला के खिलाफ धारा 376 r/w 34, 109 और 506-11 के तहत मामला दर्ज किया गया है. अदालत ने इस मामले में आरोपी की मां और भाई को भी समान रूप से दोषी माना है.

सुनवाई के दौरान दो जजों की खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि BNS की धारा 109 के अंतर्गत एक महिला रेप के लिए उकसाने का अपराध जरूर कर सकती है, लिहाजा रेप के लिए उकसाने वाली महिला के खिलाफ भी 376, 34, 109 और 506 (11) के तहत मामला दर्ज किया जाए.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल भोपाल के छोला मंदिर इलाके में 21 अगस्त 2022 को महिला ने FIR दर्ज कराई थी कि मेरे पड़ोस में रहने वाले युवक अभिषेक गुप्ता ने शादी का प्रस्ताव रखा था जिसके लिए मैं सहमत हो गई. अपनी रजामंदी बताने जब मैं उनके घर गई तो लड़के के भाई और मां ने मुझे जबरन एक कमरे में बंद कर दिया जिसके बाद आरोपी लड़के ने मुझसे शारीरिक संबंध बनाए.
पीड़ित महिला के मुताबिक आरोपी ने एक बार नहीं कई बार उसे घर बुलाकर शारीरिक संबंध बनाए. यहां तक कि सगाई भी कर ली बाद में शादी से मुकर गया.
पीड़िता की शिकायत पर थाने में दर्ज हुई FIR
इस मामले में महिला की शिकायत पर धारा 376, 109, 506 के तहत आरोपी लड़के अभिषेक गुप्ता पर मामला दर्ज किया गया साथ ही उसकी मां और भाई को भी पूरे मामले में सह आरोपी बनाया गया. FIR दर्ज होने के बाद आरोपियों ने सुनवाई के लिए भोपाल सेशन कोर्ट में आवेदन दिया जो खारिज हो गया. फैसले को चुनौती देते हुए आरोपी हाईकोर्ट पहुंचे.
हाईकोर्ट ने आरोपी की मां और भाई को भी 376 का आरोपी माना
सेशन कोर्ट में मामला खारिज हो जाने के बाद आरोपियों ने मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी. लेकिन, हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए आरोपी अभिषेक और उसकी मां और भाई को सह आरोपी बनाए जाने के फैसले को सही ठहराया और टिप्पणी करते हुए कहा कि पीड़िता से रेप के दौरान आरोपी की मां और भाई वहां मौजूद थे. ऐसे में उनकी संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता.
कोर्ट ने कड़े शब्दों में कहा कि महिला रेप भले न कर सके लेकिन उसके लिए उकसा जरूर सकती है लिहाजा आरोपी की मां और भाई को भी इन्हीं धाराओं में सह आरोपी बनाया जाए. मामले की सुनवाई जस्टिस प्रमोद अग्रवाल और प्रशांत की युगलपीठ ने की.