सीजी भास्कर, 13 नवंबर। कलकत्ता हाई कोर्ट ने गुरुवार को दलबदल विरोधी कानू्न (Mukul Roy Disqualification) के तहत एक बड़ा फैसला सुनाते हुए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ नेता मुकुल राय की बंगाल विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी। हाई कोर्ट की खंडपीठ जस्टिस देबांग्शु बसाक और जस्टिस मोहम्मद शब्बर रशीदी ने भाजपा नेता और नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी, तथा भाजपा विधायक अंबिका राय की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
कोर्ट ने इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी के उस फैसले को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने मुकुल राय के खिलाफ दलबदल की कार्रवाई करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि दलबदल का सौ फीसदी सबूत नहीं है। हाई कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यह तर्क कानूनन सही नहीं है और उपलब्ध रिकॉर्ड दलबदल साबित करने के लिए पर्याप्त हैं।
गौरतलब है कि मुकुल राय लंबे समय से बीमार हैं, और इसके बावजूद हाई कोर्ट ने उनके विधायक पद को निरस्त कर दिया है। चूंकि राज्य में वर्ष 2026 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं, इसलिए नियमों के हिसाब से इस सीट पर उपचुनाव नहीं कराया जाएगा।
(Mukul Roy Disqualification) 2017 से शुरू हुआ दलबदल विवाद
मुकुल राय 2017 में टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। मई 2021 के विधानसभा चुनाव में वे भाजपा के टिकट पर कृष्णानगर उत्तर सीट से विधायक बने। लेकिन सिर्फ कुछ हफ्तों बाद, 11 जून 2021 को वे अपने बेटे सुभ्रांशु राय के साथ दुबारा टीएमसी में शामिल हो गए, जबकि उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया।
इसके तुरंत बाद, 18 जून 2021 को सुवेंदु अधिकारी ने विधानसभा अध्यक्ष को औपचारिक आवेदन देकर दलबदल विरोधी कानून के तहत मुकुल की सदस्यता रद्द करने की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष ने यह कहते हुए कार्रवाई से इनकार कर दिया कि मुकुल के दलबदल को साबित करने के लिए सौ प्रतिशत सबूत उपलब्ध नहीं हैं। उनका तर्क था कि मुकुल ने खुद दलबदल की बात नहीं स्वीकारी, बल्कि दावा किया कि वे सिर्फ शिष्टाचारवश तृणमूल भवन गए थे।
इसके बाद विवाद बढ़ा और मुकुल राय को विधानसभा की लोक लेखा समिति (PAC) का चेयरमैन बना दिया गया—जहाँ आमतौर पर विपक्षी दल का कोई सदस्य नियुक्त होता है। हाई कोर्ट ने आज के फैसले में इस नियुक्ति को भी गलत बताया।
(Mukul Roy Disqualification) हाई कोर्ट ने क्या कहा
अपने विस्तृत निर्णय में हाई कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण बातें कही। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा ‘100% सबूत’ मांगना कानून के विरुद्ध है। मुकुल राय के टीएमसी भवन जाने की बात स्वीकार की गई है, और उन्होंने इससे जुड़ी मीडिया रिपोर्ट्स, फोटो और वीडियो का कभी खंडन नहीं किया। कानून के अनुसार, जिस तथ्य का विरोध नहीं किया जाता, उसे सच माना जाता है। सुवेंदु अधिकारी द्वारा दी गई सामग्री तस्वीरें, वीडियो, बयान पर मुकुल ने कोई आपत्ति नहीं जताई। इसलिए दलबदल साबित माना जाता है और उनकी सदस्यता स्वतः अयोग्य घोषित होती है। खंडपीठ ने कहा कि उपलब्ध दस्तावेज और आचरण दलबदल की स्थिति को पूर्णतः दर्शाते हैं और विधानसभा अध्यक्ष का निर्णय कानूनी तौर पर टिकाऊ नहीं माना जा सकता।
(Mukul Roy Disqualification) याचिका की कानूनी यात्रा
सुवेंदु अधिकारी ने पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाई कोर्ट में आवेदन देने को कहा। इसके बाद सुवेंदु ने कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर की। अलग से भाजपा विधायक अंबिका राय ने भी याचिका दाखिल की थी। दोनों मामलों पर एक साथ सुनवाई हुई और आज यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया। फैसले के बाद सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि देर से ही सही, लेकिन सत्य की जीत हुई है। यह बंगाल की राजनीति के लिए ऐतिहासिक क्षण है। विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे पहले अदालत का आदेश पढ़ेंगे, उसके बाद ही अगले कदम पर निर्णय लेंगे।
