सीजी भास्कर, 18 अक्टूबर। जब पूरा देश सोमवार को रोशनी का पर्व मनाएगा, ठीक उसी दिन गरियाबंद में सक्रिय उदंती एरिया कमेटी के सक्रिय माओवादी (Naxal Surrender) अपने वर्षों पुराने संघर्ष को विराम देते हुएहथियार डाल देंगे और नई जिंदगी की शुरुआत करेंगे। यह निर्णय महाराष्ट्र में भूपति द्वारा 61 साथियों के साथ किए गए आत्मसमर्पण और बस्तर में रूपेश के 210 माओवादियों के साथ लाल आतंक छोड़कर मुख्यधारा में लौटने के ठीक बाद लिया गया है।
सामूहिक आत्मसमर्पणों की राह पर चलते हुए उदंती टीम ने भी हथियारबंद संघर्ष को त्यागने का फैसला किया है। इससे पूरे छत्तीसगढ़ में शांति की उम्मीद जगी है। माओवादी सुनील द्वारा जारी एक अपील पत्र के अनुसार, कमेटी ने 20 तारीख को ही आत्मसमर्पण की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है। पत्र में बाकी यूनिटों को सोमवार दोपहर 12:30 बजे मिलने का आह्वान किया गया है ताकि सशस्त्र आंदोलन को विराम दिया जा सके।
माओवादी सुनील की अपील में संगठन के भीतर का निराशाजनक माहौल स्पष्ट झलकता है। उसने अपने साथियों से कहा है कि “पहले हमें बचना है, उसके बाद संघर्ष आगे बढ़ा सकते हैं।” सुनील ने स्वीकार किया है कि केंद्रीय नेतृत्व (सेंट्रल कमेटी) सही समय पर निर्णय नहीं ले सका और उन्होंने कई महत्वपूर्ण कामरेडों को खो दिया है।
मुख्यधारा में लौटें माओवादी
पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा ने कहा कि “त्योहार के इस पावन मौके पर माओवादियों का यह फैसला बेहद प्रतीकात्मक है। हम लगातार अपील करते रहे हैं कि वे मुख्यधारा में लौटें और हिंसा का अंधेरा छोड़ दें। उदंती कमेटी का यह निर्णय बाकी यूनिटों (गोबरा, सीनापाली, सीतानदी) के लिए अंतिम संदेश होना चाहिए। हम उन्हें आश्वस्त करते हैं कि सरकार की पुनर्वास नीति (Naxal Surrender) उनके नए जीवन को रोशन करेगी।”
इधर एक लाख के इनामी माओवादी ने डाले हथियार
एक लाख रुपये का इनामी माओवादी पिलसाय कश्यप ने शनिवार को पुलिस अधीक्षक वाय अक्षय कुमार के समक्ष आत्मसमर्पण (Naxal Surrender) किया। संगठन में बढ़ते मतभेद, साथियों की मौत और सुरक्षित जीवन की चाह ने उसे समाज की मुख्यधारा में लौटने को प्रेरित किया। आत्मसमर्पण के दौरान उसे छत्तीसगढ़ शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति-2025 के तहत 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई।