सीजी भास्कर, 28 अक्टूबर | Naxalite Leadership Change: दीपावली के बीच जहां बस्तर में रौशनी का उत्सव मनाया जा रहा था, वहीं (Naxal Meeting Nallamala Forest) की खबर ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। तेलंगाना-आंध्र प्रदेश की सीमा पर नल्लामल्ला के घने जंगलों में शीर्ष नक्सली लीडर्स की गोपनीय बैठक हुई, जिसमें संगठन की नई रणनीति और नेतृत्व में बदलाव पर चर्चा की गई।
Devji Central Committee: सेंट्रल कमेटी में बड़ा बदलाव
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में (Devji Central Committee) के प्रमुख के रूप में देवजी का नाम तय हुआ है। वहीं, बस्तर में सक्रिय कुख्यात नक्सली हिड़मा को संगठन का नया (Hidma New Role) – मिलिट्री कमीशन प्रमुख बनाया जा सकता है। इसके अलावा केसा को बटालियन कमांडर और दामोदर को दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का प्रभारी बनाने की चर्चा हुई।
Hidma New Role: अब हथियारबंद कमान संभालेगा हिड़मा
नक्सल संगठन के अंदर यह बदलाव ऐसे समय में हुआ है, जब बीते दो सालों में 400 से अधिक नक्सली मारे जा चुके हैं। हिड़मा, जो पहले बटालियन नंबर 1 की कमान संभालता था, अब केंद्रीय स्तर पर मिलिट्री यूनिट का नेतृत्व करेगा। बस्तर में (Naxalite Leadership Change) के बाद उसकी भूमिका और भी अहम मानी जा रही है।
नल्लामल्ला का चयन क्यों हुआ बैठक के लिए?
नल्लामल्ला का जंगल इस बैठक के लिए इसलिए चुना गया क्योंकि यह इलाका टाइगर रिजर्व में आता है, जहां सुरक्षा बलों की आवाजाही सीमित है। घने जंगल और दुर्गम रास्तों के कारण यह जगह नक्सलियों के लिए सुरक्षित मानी जाती है। वहीं, इस इलाके में पहले भी (Naxal Meeting Nallamala Forest) जैसी गुप्त मीटिंग्स होती रही हैं।
कमजोर पड़ा संगठन, नेतृत्व संकट से जूझ रहे नक्सली
बीते 22 महीनों में बस्तर में 209 मुठभेड़ों में 448 नक्सली मारे जा चुके हैं और 2,274 ने आत्मसमर्पण किया है। गगन्ना उर्फ बासवराजू, विकल्प, कोसा, बालकृष्ण जैसे शीर्ष नेता मारे जाने से संगठन की रीढ़ कमजोर पड़ चुकी है। अब देवजी और हिड़मा जैसे पुराने चेहरे ही (Naxalite Leadership Change) को संभालने की कोशिश कर रहे हैं।
आत्मसमर्पण को लेकर फूटा असंतोष
संगठन के भीतर आत्मसमर्पण को लेकर मतभेद गहराते जा रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, कई कैडर सरेंडर करना चाहते हैं, लेकिन हिड़मा और देवजी जैसे लीडरों के भय से कदम नहीं उठा पा रहे। वहीं, कुछ इलाकों में निचले स्तर के नक्सलियों ने परिवारों के जरिए प्रशासन से संपर्क साधना शुरू कर दिया है।
सुरक्षा एजेंसियों की पैनी नजर
आईजी सुंदरराज पी. ने कहा कि बस्तर से नक्सलवाद की जड़ें लगभग खत्म हो चुकी हैं। “अब चाहे नक्सली जंगलों में बैठक करें या बयान जारी करें, फर्क नहीं पड़ता। मिशन 2026 के तहत बस्तर को पूरी तरह नक्सल मुक्त बनाया जाएगा। उनके पास अब आत्मसमर्पण के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।”
