सीजी भास्कर, 30 जून : छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में नक्सल उन्मूलन की निर्णायक घड़ी आ गई है। केंद्र सरकार और सुरक्षाबल अब वर्ष 2025 के शेष नौ महीनों में माओवादियों (Naxalite Operation Monsoon) के खिलाफ निर्णायक हमला करने की पूरी तैयारी में हैं। इस मिशन का केंद्र बिंदु होगा बस्तर, जिसे माओवादियों की सबसे सघन गतिविधियों का गढ़ माना जाता है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हालिया छत्तीसगढ़ दौरे के बाद नक्सल (Naxalite Operation Monsoon) विरोधी रणनीति में बड़ा बदलाव आया है। शाह ने स्पष्ट किया कि जो माओवादी निर्दोष नागरिकों और जवानों की हत्या कर रहे हैं, उन्हें अब बख्शा नहीं जाएगा। मानसून सीज़न में विशेष ऑपरेशन के लिए सभी सुरक्षा बलों को फ्री हैंड दे दिया गया है।
ऑपरेशन मानसून नामक (Naxalite Operation Monsoon) इस मिशन में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के शीर्ष 13 कैडरों की पहचान की है। इनकी प्रोफाइल तैयार कर ली गई है और अब सीधे इन पर निशाना साधा जाएगा। सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि अब केवल उन्हीं से संवाद होगा, जो आत्मसमर्पण कर हथियार छोड़ेंगे।
बस्तर के माड़ क्षेत्र और अबुझमाड़ के जंगलों में माओवादियों की मौजूदगी पर विशेष फोकस किया गया है। सुरक्षा बलों ने इन क्षेत्रों में निगरानी तेज कर दी है। माओवादियों की कई बड़ी बैठकों को इंटरसेप्ट कर लिया गया है और उनके मूवमेंट पर ड्रोन व तकनीकी माध्यमों से नजर रखी जा रही है।
तेलंगाना, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और ओडिशा की सरकारों ने भी अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय माओवादियों की सूची केंद्र को भेज दी है। इन राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों में जॉइंट ऑपरेशन चलाने की रणनीति तय हो चुकी है।
ऑपरेशन मानसून के निशाने पर होंगे ये टॉप माओवादी (Naxalite Operation Monsoon)
के रामचंद्र रेड्डी (CCM सचिव, दंडकारण्य)
मोडेम बालकृष्ण (सेंट्रल कमेटी सदस्य)
कादरी सत्यनारायण रेड्डी (सेंट्रल कमेटी सदस्य)
अनल दा उर्फ तूफान (बिहार-झारखंड CCM सचिव)
वेणुगोपाल भूपति (पोलित ब्यूरो सदस्य)
तिरुपति देव जी (पोलित ब्यूरो)
गणपति उर्फ रमन्ना (पोलित ब्यूरो)
पुल्लारी प्रसाद (तेलंगाना स्टेट CCM सचिव)
मिसिर बेसरा (पोलित ब्यूरो)
सुजाता (दक्षिण सब जोनल ब्यूरो प्रभारी)
गणेश उईके (ओडिशा स्टेट CCM सचिव)
भूमिगत होकर नेटवर्क संचालित कर रहे
इन सभी पर करोड़ों रुपये का इनाम है और ये विभिन्न राज्यों में भूमिगत होकर नेटवर्क संचालित कर रहे हैं। अब इन राज्यों की सीमाओं पर एक साथ साझा ऑपरेशन किया जाएगा, जिससे इनका बचना नामुमकिन हो जाएगा। केंद्र सरकार का मानना है कि इस समन्वित और आक्रामक अभियान के बाद माओवादी नेटवर्क की रीढ़ टूट जाएगी और बस्तर समेत देश के कई प्रभावित इलाकों में स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त होगा।