नेशनल डिफेंस एकेडमी के कैडेटों ने मानवता और दोस्ती की ऐसी मिसाल पेश की है, जिसे पढ़कर हर कोई रुककर सोचने पर मजबूर हो जाए। अपने दिवंगत साथी प्रथम महाले के सपने को पूरा करने के लिए उनके कोर्समेट्स ने उनकी छोटी बहन रुजुता की मेडिकल पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने का फैसला किया।
इस पूरी पहल में (NDA Cadets Support) की भावना सबसे आगे रही, क्योंकि प्रथम अपनी बहन को डॉक्टर बनते देखना चाहते थे।
दुर्घटना के बाद टूटे परिवार का सहारा बने साथी कैडेट
16 अक्टूबर 2023 को बॉक्सिंग चैंपियनशिप के दौरान लगी गंभीर चोट ने प्रथम की जान ले ली। परिवार इस सदमे से उबर भी नहीं पाया था कि सहपाठियों ने चुपचाप जिम्मेदारी संभाल ली।
प्रथम के पिता बताते हैं कि बेटे के साथी सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि परिवार को भावनात्मक रूप से संभालने के लिए भी लगातार संपर्क में रहे। न सिर्फ कार्यक्रमों में आमंत्रित किया, बल्कि खुद परिवार से मिलने उनके घर तक आए।
महीनों तक भेजते रहे मदद, बहन को दिलाया मेडिकल एडमिशन
परिवार के टूटने का असर रुजुता की पढ़ाई पर भी पड़ा। ऐसे समय में प्रथम के साथी हर महीने 30–35 हजार रुपये घर भेजते रहे ताकि रुजुता पढ़ाई जारी रख सके।
जब उसे बरेली में मेडिकल कोर्स में दाखिला मिला, तो लगभग 30 हजार रुपये तुरंत भेजकर एडमिशन भी पक्का कराया। उनके लिए यह सिर्फ आर्थिक मदद नहीं थी, बल्कि अपने दोस्त के सपने को पूरा करने की प्रतिबद्धता थी।
इसी भावना को वे अपने बीच (Cadets Humanity) कहते हैं — “साथी सिर्फ ट्रेनिंग में नहीं, जीवन भर के लिए।”
‘प्रथम नहीं रहे, पर परिवार कभी अकेला नहीं होगा’ — साथी कैडेट का भावुक संदेश
एक साथी कैडेट, जो अब फ्लाइंग ऑफिसर हैं, ने बताया कि प्रथम हमेशा अपनी बहन की पढ़ाई को लेकर गंभीर रहते थे। यही वजह है कि सबने मिलकर तय किया कि दोस्त के न रहने पर भी उसके सपने अधूरे नहीं रहेंगे।
उनके शब्दों में—
“हमने यूनिफॉर्म पहनते समय जो वचन लिया था, वह सिर्फ देश के लिए नहीं, एक-दूसरे के लिए भी है। प्रथम आज साथ नहीं है, लेकिन उनका परिवार हमारा परिवार है।”
यह एक ऐसी (Military Brotherhood) है, जिसे शब्दों में नहीं बांधा जा सकता।
मिसाल जिसने दोस्ती, त्याग और कर्तव्य की नई परिभाषा लिख दी
एनडीए कैडेटों का यह कदम सिर्फ आर्थिक सहयोग नहीं, बल्कि सैन्य मूल्यों की उस विरासत का प्रतीक है जिसमें साथी की हर जिम्मेदारी साझा होती है।
एक परिवार जो टूट गया था, वह आज फिर अपनी जगह पर खड़ा है — सिर्फ इसलिए क्योंकि कुछ युवाओं ने दोस्ती को फर्ज बना लिया।


