सीजी भास्कर, 10 सितंबर। नेपाल की राजधानी समेत कई हिस्सों में जारी Gen-Z Protest अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। बड़े पैमाने पर प्रदर्शन के बीच युवाओं ने देश की अंतरिम सरकार के लिए अपना एजेंडा तय करना शुरू कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, 4,000 से अधिक युवाओं ने एक वर्चुअल मीटिंग में हिस्सा लिया, जिसमें पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम नेता नियुक्त(Nepal Protest) करने पर सहमति बनी है।
माना जा रहा है कि Gen-Z ग्रुप जल्द ही नेपाल आर्मी चीफ को यह प्रस्ताव सौंपेगा। इस वोटिंग में सुशीला कार्की को 31% समर्थन मिला, जबकि काठमांडू के मेयर और लोकप्रिय रैपर बालेन शाह को 27% वोट मिले।
कौन हैं सुशीला कार्की?
सुशीला कार्की नेपाल(Nepal Protest) की एक वरिष्ठ न्यायविद हैं, जिन्होंने देश के सर्वोच्च न्यायालय की पहली और अब तक की एकमात्र महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में इतिहास रचा। वह 11 जुलाई 2016 को इस पद पर नियुक्त हुईं और 2017 तक अपनी सेवाएं दीं।
करियर और विवाद
30 अप्रैल 2017 को नेपाल की संसद में उन पर महाभियोग लाने की कोशिश हुई थी, लेकिन जनता के दबाव और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह प्रस्ताव वापस लेना पड़ा।
वह अपने सख्त और निष्पक्ष रवैये के लिए जानी जाती हैं।
2009 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का एड-हॉक जस्टिस और 2010 में स्थायी जस्टिस नियुक्त किया गया था।
शिक्षा और निजी जीवन
सुशीला कार्की का जन्म विराटनगर के कार्की परिवार में हुआ था और वह अपने माता-पिता की सात संतानों में सबसे बड़ी हैं।
उन्होंने 1972 में महेंद्र मोरंग परिसर से बीए, 1975 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए और 1978 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की।
उनकी शादी नेपाली(Nepal Protest) कांग्रेस के नेता दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई थी, जो कभी पंचायत शासन के खिलाफ आंदोलनों में सक्रिय रहे थे।
पेशेवर सफर
1979 में उन्होंने विराटनगर में वकालत शुरू की।
1985 में धरान के महेंद्र मल्टीपल कैंपस में सहायक शिक्षिका रहीं।
2007 में उन्हें सीनियर एडवोकेट का दर्जा मिला।
2016 में कार्यवाहक और बाद में स्थायी मुख्य न्यायाधीश बनीं।
नेपाल की मौजूदा स्थिति
Gen-Z आंदोलन के चलते नेपाल की राजनीति में अनिश्चितता बढ़ गई है। राजधानी काठमांडू और कई जिलों में सेना तैनात है और प्रशासन पूरी तरह सैन्य निगरानी (Military Control) में काम कर रहा है।
युवाओं का कहना है कि वे पुराने राजनीतिक चेहरों से तंग आ चुके हैं और अब नई नेतृत्व व्यवस्था चाहते हैं। ऐसे में अगर सुशीला कार्की अंतरिम नेतृत्व संभालती हैं तो यह नेपाल की राजनीति में नए युग की शुरुआत हो सकती है।