सीजी भास्कर, 3 अगस्त |
छत्तीसगढ़ में हुए 500 करोड़ रुपये से अधिक के दवा और रीएजेंट खरीद घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। इस हाई-प्रोफाइल घोटाले में अब राज्य के तीन वरिष्ठ IAS अधिकारियों पर ईडी की नजर है। बताया जा रहा है कि ये सभी अधिकारी उस दौरान छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) में तैनात थे जब यह घोटाला अंजाम दिया गया।
कौन हैं रडार पर आए IAS अफसर?
सूत्रों के मुताबिक, जिन तीन अधिकारियों से पूछताछ की तैयारी है, उनमें भीम सिंह, चंद्रकांत वर्मा और पद्मिनी भोई शामिल हैं। ये सभी घोटाले के समय महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों पर थे, लेकिन अब तक इनके खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई थी। अब ईडी इन्हें नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुलाने वाली है।
पहले ही जेल जा चुके हैं 7 आरोपी
इस घोटाले के मुख्य आरोपी शशांक चोपड़ा सहित सात लोगों को पहले ही जेल भेजा जा चुका है। शशांक मोक्षित कॉर्पोरेशन, दुर्ग का संचालक है और दवा खरीदी में गंभीर अनियमितताओं का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। ईओडब्ल्यू और एसीबी पहले ही इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।
ED की छापेमारी और तेज जांच
पिछले दिनों रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग में ED ने 18 से ज्यादा ठिकानों पर छापे मारे थे। कई अहम दस्तावेज जब्त किए गए हैं। सूत्र बताते हैं कि अब ईडी जेल में बंद व्यापारियों और अफसरों से पूछताछ की तैयारी में है, जिसके लिए कोर्ट से इजाजत भी मांगी गई है।
घोटाले की पोल खोली ऑडिट रिपोर्ट ने
ऑडिट रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं—
- जरूरत से अधिक दवाओं और मशीनों की खरीद हुई।
- 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को उपकरण दिए गए, लेकिन 350 केंद्रों में भंडारण की सुविधा तक नहीं थी।
- डीएचएस ने कोई बेसलाइन सर्वे किए बिना भारी खरीदारी कर दी।
इससे साफ है कि बिना प्लानिंग और ज़मीनी जरूरतों के आकलन के करोड़ों की खरीदारी की गई, जिसमें बड़े अधिकारियों की संलिप्तता की आशंका गहराई है।
क्या अब बचेगा कोई?
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल पहले ही विधानसभा में इशारा कर चुके हैं कि घोटाले में दो बड़े अधिकारियों की भूमिका है। अब ईडी के सक्रिय होने से यह तय माना जा रहा है कि इन अफसरों पर भी कार्रवाई तय है। प्रशासनिक हलकों में इसको लेकर खलबली मची हुई है।