सीजी भास्कर, 1 दिसंबर | NIT Chowpatty Controversy एनआईटी चौपाटी मामले में सियासी टकराव और तेज हो गया है।
कांग्रेस ने भाजपा नेताओं को सीधी, सार्वजनिक बहस की चुनौती देते हुए साफ किया है कि वह फूड कोर्ट को गिराने की कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध मानती है।
पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने कहा कि भाजपा के नेता—मंत्री अरुण साव, विधायक राजेश मुणत और महापौर मीनल चौबे—बस तारीख और समय तय कर दें, कांग्रेस दस्तावेज़ों के साथ बहस के लिए तैयार है।
‘मिनटों में तबाह हुआ युवाओं का स्पेस’ — कांग्रेस का आरोप
विकास उपाध्याय का कहना है कि चौपाटी फूड कोर्ट किसी अव्यवस्थित ढांचे का नाम नहीं था बल्कि एक सुव्यवस्थित, सुरक्षित और युवाओं के बीच लगातार लोकप्रिय होता स्पॉट था।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि भाजपा नेताओं की ज़िद ने “एक चलती-फिरती इकोनॉमिक ज़ोन” को एक झटके में खत्म कर दिया।
कांग्रेस के मुताबिक, रोज़ाना बड़ी संख्या में छात्र, युवा और आस-पास रहने वाले लोग यहां आते थे, और इसे गिराना महज प्रशासनिक कार्रवाई नहीं बल्कि बदले की भावना का नतीजा था।
कांग्रेस बोली—‘हाई कोर्ट पहले ही फूड कोर्ट को वैध मान चुका था’
कांग्रेस के नेताओं ने याद दिलाया कि फूड कोर्ट के खिलाफ दायर याचिका को हाई कोर्ट ने पहले ही खारिज कर दिया था।
कोर्ट के मुताबिक, निर्माण प्रक्रिया कानूनी थी और उस पर आपत्ति करने का कोई ठोस आधार नहीं था।
कांग्रेस का कहना है कि जब अदालत ने वैधता स्पष्ट कर दी थी, तो फिर अचानक इसे अवैध करार देकर कार्रवाई क्यों की गई?
‘भाजपा के बयान हर दिन बदल रहे हैं’ — कांग्रेस नेताओं की प्रेस ब्रीफिंग
एक प्रेस वार्ता में कांग्रेस जिलाध्यक्ष श्रीकुमार मेनन, पूर्व महापौर प्रमोद दुबे और नेता प्रतिपक्ष आकाश तिवारी ने कहा कि भाजपा ने फूड कोर्ट को अवैध बताने के लिए कई विरोधाभासी तर्क दिए।
कभी कहा जाता है कि यह मास्टर प्लान के खिलाफ है, कभी दावा किया जाता है कि ज़मीन खेल विभाग की है।
लेकिन खेल विभाग ने खुद नगर निगम को लिखित रूप में बताया था कि जमीन का उपयोग सार्वजनिक गतिविधियों के लिए किया जा सकता है।
कांग्रेस के अनुसार भाजपा की दलीलें तथ्य से ज़्यादा राजनीति के इर्द-गिर्द घूमती हैं।
‘पहले दुकान मांगते थे, अब अवैध बता रहे’ — विकास उपाध्याय का आरोप
कांग्रेस ने एक और गंभीर आरोप लगाया है।
विकास उपाध्याय ने कहा कि भाजपा के दो प्रमुख नेता—विधायक राजेश मुणत और महापौर मीनल चौबे—ने अपने कार्यकर्ताओं के लिए फूड कोर्ट में दुकानें मांगी थीं।
उन्होंने कहा, “जब खुद दुकान की मांग कर रहे थे, तब सब कुछ वैध लग रहा था। आज राजनीतिक लाभ के लिए वही फूड कोर्ट अचानक अवैध कैसे हो गया? यह दोहरे मानदंड नहीं तो और क्या है?”
बूढ़ा तालाब चौपाटी पर चुप्पी क्यों? कांग्रेस ने उठाए सवाल
कांग्रेस ने पूछा कि यदि अवैध निर्माण हटाने का अभियान इतना ही व्यापक है, तो बूढ़ा तालाब चौपाटी पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही?
क्यों सिर्फ वही स्थान चुना गया जहां छात्र और युवा सबसे अधिक आते थे?
कांग्रेस का आरोप है कि एनआईटी चौपाटी को टारगेट करना “चुनिंदा कार्रवाई” का स्पष्ट उदाहरण है।
‘यह लड़ाई दुकानों की नहीं, युवाओं के अधिकारों की है’
कांग्रेस का कहना है कि फूड कोर्ट सिर्फ दुकानों का समूह नहीं था बल्कि युवाओं का एक साझा स्पेस था, जहां संवाद, गतिविधियां और छोटी आर्थिक इकाइयां चलती थीं।
पार्टी ने घोषणा की है कि वह इस मुद्दे पर भाजपा द्वारा किए जा रहे हर दावे का तथ्यात्मक जवाब देगी और जरूरत पड़ने पर सड़कों से लेकर अदालत तक संघर्ष करेगी।
