सीजी भास्कर, 8 सितंबर। उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले के एक गांव के बाहर चेतावनी बोर्ड लगा है, जिस पर लिखी बातें इन दिनों खासी चर्चा में है। बोर्ड पर लिखा है कि गैर हिंदुओं और रोहिंग्या मुसलमानों का गांव में प्रवेश वर्जित है, अगर कोई ऐसा करते पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। इस बोर्ड की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आग की तरफ फैल गई हैं। कई मुस्लिम संगठनों ने इसके खिलाफ आपत्ति दर्ज करवाई है। उनका कहना है कि अल्पसंख्यकों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है।
आपको बता दें कि रूद्रप्रयाग में गांव के लोगों ने मिलकर यह अनोखा कदम उठाया है। उन्होंने गांव के बाहर वॉर्निंग बोर्ड लगाया है। इस बोर्ड पर लिखा है कि गैर हिंदू/रोहिंग्या मुसलमानों व फेरी वालों का गांव में व्यापार करना/ घूमना वर्जित है। अगर गांव में कहीं भी मिलता है तो दण्डात्मक व कानूनी कार्यवाही की जाएगी। इस बोर्ड की तस्वीरें सामने आने के बाद हिंदू-मुसलमान मुद्दा एक बार फिर से तूल पकड़ने लगा है।
उत्तराखंड के डीजीपी अभिनव कुमार का कहना है कि लोकल पुलिस और खुफिया अधिकारियों को मामले की जांच सौंपी गई थी। रिपोर्ट में पता चला है कि एक-दो नहीं बल्कि कई गांवों के बाहर ऐसे बोर्ड लगे हैं। रूद्रप्रयाग सर्कल ऑफिसर प्रबोध कुमार ने बताया कि उन्होंने सभी बोर्ड हटवा कर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।
प्रबोध कुमार ने बताया कि कुछ समय पहले हमें गांव के बाहर ऐसे बोर्ड लगने की जानकारी मिली। हमने सारे बोर्ड हटा दिए हैं। हम पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह बोर्ड किसने लगाए हैं? ऐसी हरकत करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। कई गांवों के प्रधान के साथ हमारी बैठक हुई है। हमने सुनिश्चित किया है कि ऐसी हरकतें दोबारा नहीं होंगी। वहीं न्यालसू के ग्राम प्रधान प्रमोद सिंह ने बताया कि शेरसी, गौरीकुंड, त्रियुगीनारायण, सोनप्रयाग, बरासु, जामू, अरिया, रविग्राम और मैखंडा गांव के बाहर भी ऐसे ही बोर्ड देखने को मिले हैं। यह बोर्ड गांव के लोगों ने मिलकर लगाए हैं। ग्राम पंचायत को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। यह बोर्ड लगाने का मकसद कुछ लोगों को गांव में आने से रोकना था। गांव वाले चाहते हैं कि पुलिस वैरिफिकेशन के बिना कोई भी अंजान शख्स गांव में न घुसे। गांव के ज्यादातर पुरुष काम के सिलसिले में सोनप्रयाग और गौरीकुंड में रहते हैं। खासकर चार धाम यात्रा के दौरान पुरुष घर बहुत कम आते हैं। ऐसे में महिलाएं घरों में अकेले रहती हैं। कई फेरी वाले पुलिस वैरिफिकेशन और आईडी कार्ड के बिना ही गांव में रोज आते-जाते रहते हैं। अगर वो किसी घटना को अंजाम देंगे, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? घटना के बाद वो फरार हो जाएंगे और उन्हें ढूंढना मुश्किल हो जाएगा।