दिल्ली , 10 अप्रैल 2025 :
Delhi HC on Orphan Children: दिल्ली हाई कोर्ट ने पहली बार राजधानी के अनाथ और नाबालिग बच्चों की संपत्ति के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने राज्य सरकार, जिला प्रशासन और अदालतों को इन बच्चों की संपत्तियों को लालची रिश्तेदारों और अवैध कब्ज़े से बचाने के लिए कड़े प्रोटोकॉल बनाने का आदेश दिया है.
क्या है मामला?
यह फैसला दो मामलों की सुनवाई के दौरान आया, जिनमें याचिकाकर्ता 2 नाबालिग बच्चे हैं, जो शेल्टर होम्स में रह रहे हैं. उनके माता-पिता नशे की लत और हिंसक व्यवहार के शिकार थे, जिसके चलते उनकी मृत्यु हो गई. बच्चों ने अदालत में बताया कि उनके माता-पिता द्वारा छोड़ी गई चल-अचल संपत्तियां नष्ट हो रही हैं या अवैध रूप से हड़पी जा रही हैं, जिससे उन्हें ‘बेसहारा जीवन’ जीना पड़ रहा है.
अदालत की मुख्य टिप्पणियां और निर्देश
जस्टिस प्रसाद ने कहा कि ये बच्चे परिस्थितियों के शिकार हैं, और राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उनके अधिकारों की रक्षा करे. कोर्ट ने यह भी कहा कि न्यायालयों को इन नाबालिगों की संपत्ति की रक्षा के लिए सतर्क रक्षक की भूमिका निभानी होगी.
राज्य सरकार के लिए निर्देश जारी करते हुए कोर्ट ने कहा कि चाइल्ड वेलफेयर कमेटी और जिला बाल संरक्षण इकाई (DCPU) को माता-पिता की मृत्यु के 15 दिनों के भीतर बच्चे की संपत्ति का पूरा ब्यौरा तैयार करना होगा. वहीं पुलिस को मृतक के मोबाइल, बैंक कार्ड और अन्य दस्तावेज़ों को तुरंत जब्त करना होगा. जिलाधिकारी को वैध अभिभावक नियुक्त करने और हर 3 महीने में बच्चे को संपत्ति की स्थिति से अवगत कराने की जिम्मेदारी दी गई है.
वहीं दूसरी अदालतों के लिए भी दिशानिर्देश जारी हुए जिनमें कहा गया कि संपत्ति की सुरक्षा के लिए अंतरिम आदेश 4 सप्ताह के भीतर पारित किए जाएं. हर बच्चे के लिए एक अलग वकील की नियुक्ति सुनिश्चित की जाए. मामले को तब तक लंबित रखा जाए जब तक बच्चा बालिग न हो जाए.
रिश्तेदारों को चेतावनी
अदालत ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि संपत्ति हड़पने की कोशिश करने वाले रिश्तेदारों पर सख्त निगरानी रखी जाए और कानून के तहत कठोर कार्रवाई की जाए. यह फैसला उन अनगिनत अनाथ बच्चों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है, जिनकी संपत्ति और भविष्य अब न्यायिक सुरक्षा के दायरे में हैं.