सीजी भास्कर, 07 नवंबर। पति-पत्नी के बीच विवाद की वजह से रेलवे को 3 करोड़ रुपए के नुकसान का अनोखी मामला सामने आया है। दम्पत्ति की नोंक-झोंक के चलते रेलवे कर्मी पति की नौकरी भी चली गई क्योंकि ड्यूटी के दौरान फोन पर स्टेशन मास्टर की पत्नी से बहस हो रही थी। इस दौरान पति बोला कि वो घर आकर बात करेगा तभी पति-पत्नी का झगड़ा ओके से खत्म हुआ। दूसरी तरफ ओके की आवाज सुनकर दूसरे स्टेशन मास्टर ने ट्रेन को रवाना करने का सिग्नल दे दिया और गाड़ी बैन रूट पर चली गई। इस मामले में पति की तलाक की अर्जी को मंजूर करते हुए हाईकोर्ट ने पत्नी के इस व्यवहार को मानसिक क्रूरता माना है और पति को तलाक के लिए हकदार माना है। केस की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई।
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डिवीजन बेंच ने कहा कि पति से फोन पर झगड़ा करने के कारण रेल कर्मी पति को निलंबित होना पड़ा। साथ ही पति के परिवार वालों के खिलाफ झूठी रिपोर्ट लिखाई और भाभी पर अवैध संबंध होने के आरोप लगाए। पत्नी की यह सब हरकत पति के साथ मानसिक क्रूरता है। हाईकोर्ट ने परिवार न्यायालय के फैसले को खारिज करते हुए पति के तलाक की याचिका को मंजूर कर लिया है।

इस मामले की पैरवी करने वाले अधिवक्ता विपीन तिवारी ने बताया कि भिलाई की रहने वाली युवती की शादी 12 अक्टूबर 2011 में हिन्दू रीति रिवाज से हुई थी। उसका पति विशाखापट्टनम का रहने वाला है और रेलवे में स्टेशन मास्टर है। पति का आरोप है कि शादी के बाद जब 14 अक्टूबर को रिसेप्शन हुआ तब उसकी पत्नी खुश नहीं थी। रात में उसने पति को बताई की उसका इंजीनियरिंग कॉलेज के लाइब्रेरियन (ग्रंथपाल) के साथ अफेयर है। उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध भी बना चुकी है, जिसे वो नहीं भूल सकती। पति ने इस बात की जानकारी उसके पिता को दी। लेकिन पिता ने भरोसा दिलाया कि वो भविष्य में ऐसा नहीं करेगी और इसकी गारंटी भी ली। पति का यह भी आरोप है कि पिता के समझाने के बाद भी उसकी पत्नी उसके बाजू में रहकर प्रेमी से बात करती रही। एक रात पति ड्यूटी पर था तब पत्नी फोन पर अपने पति से विवाद करने लगी। इसके बाद लगातार पत्नी की मानसिक प्रताड़ना से परेशान होकर पति ने विशाखापट्टनम परिवार न्यायालय में तलाक के लिए आवेदन पेश किया। दूसरी तरफ उसकी पत्नी ने दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाकर कर केस दर्ज करा दिया। पुलिस ने पति, उसके 70 वर्षीय पिता, शासकीय सेवक बड़े भाई, भाभी और मौसेरा भाई बहन के खिलाफ 498 के तहत केस दर्ज कर लिया। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पति के आवेदन को दुर्ग न्यायालय ट्रांसफर किया गया। दुर्ग परिवार न्यायालय से आवेदन खारिज होने पर पति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की बेंच में हुई। हाईकोर्ट ने सुनवाई में पाया कि पत्नी ने पति पर भाभी के साथ अवैध संबंध होने का आरोप लगाया था जबकि याचिकाकर्ता की मां का 2004 में निधन हो गया है। उसकी शादी में भाभी ने मां के सभी रस्म अदा की थी। इसके आलावा पति और उसके शासकीय सेवक बड़े भाई, भाभी और अन्य रिश्तेदार जो अलग रहते हैं उनके खिलाफ दहेज प्रताड़ना की झूठी रिपोर्ट लिखाई। दहेज में कब और कैसे नकद रकम दिया गया नहीं बताया गया।