सीजी भास्कर, 28 अप्रैल। (Maharashtra Latest News) शिवसेना-UBT ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में एक बार फिर केंद्र सरकार और बीजेपी पर निशाना साधा है।
इस बार उन्होंने भारत में पाकिस्तानियों की संख्या को इसके लिए आधार बनाया है। सामना के संपादकीय Editorial में दावा किया गया है कि बीजेपी सरकार के कार्यकाल में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिकों की संख्या बढ़ी है। अकेले महाराष्ट्र में पाकिस्तानियों की संख्या 5 हजार से ज्यादा है।
सामना के संपदाकीय में तंज कसते लिखा गया है, “पहलगाम (Pahalgam)आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार का दिमाग चल नहीं रहा है. अब केंद्र सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को भारत से भगाने का अभियान शुरू किया गया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने खुद देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को यह निर्देश दिया है कि पाकिस्तानियों को तत्काल प्रभाव ने वापस भेजा जाए। इसके बावजूद तय समय सीमा बीतने के बाद भी हजारों पाकिस्तानी नागरिक देश में डेरा डाले हुए हैं।”
जहां बीजेपी सत्ता में, वहीं पाकिस्तानी सबसे ज्यादा क्यों- सामना
आगे लिखा है, “अहम सवाल यह है कि केंद्र सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को पाकिस्तान भगाने का अभियान शुरू किया है, लेकिन जहां बीजेपी सालों से सत्ता में है, वहां सबसे ज्यादा पाकिस्तानी हैं, तो क्या, ये लोग इतने सालों से सोए हुए थे क्या?
या फिर पहलगाम जैसे हमले के इंतजार करने की क्या जरूरत थी? ये बात सही है कि हजारों पाकिस्तानियों को हिंदुस्तान में क्यों रहना चाहिए? उन्हें हमारे देश में आने की अनुमति क्यों देनी चाहिए?
हम पाकिस्तान को दुश्मन राष्ट्र मानते हैं न, फिर इतनी बड़ी संख्या में पाकिस्तानी नागरिकों को क्यों वैध-अवैध तरीकों से देश के हर राज्य में आने दिया गया?
सामना के मुताबिक अगर अकेले महाराष्ट्र की बात करें तो यहां 5,023 पाकिस्तानी रह रहे थे। इनमें से 107 पाकिस्तानी नागरिक लापता हैं। महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने खुद इस बात को कबूल किया है कि पुलिस ने इन 107 पाकिस्तानी नागरिकों को बहुत खोजा, लेकिन वे नहीं मिले। उनकी बातों पर गृह विभाग संभालने वाले सीएम ने ही संदेह पैदा कर दिया है। उन्होंने दावा किया है कि कोई भी पाकिस्तानी लापता नहीं है।
कहां सोई थीं खुफिया एजेंसियां- सामना
सामना ने अपने संपादकीय में सवाल उठाया है कि सीमा पर सुरक्षा बलों का कड़ा पहरा था तो ये घुसपैठिए देश के अंदर कैसे आ गए? देश के पीएम खुद को जनता का चौकीदार बताते हैं। इसके बावजूद सीमा पार कर पाकिस्तानी नागरिक, घुसपैठिए और उग्रवादी सीमा भारत में आ सकते हैं। वे पहलगाम जैसे हमले और नरसंहार को अंजाम दे सकते हैं। अगर ऐसा है तो देश की सरकार, गृह मंत्रालय और खुफिया एजेंसियां क्या कर रही हैं?
संपादकीय में लिखा है, “अगर महाराष्ट्र में 5,000 से अधिक, राजस्थान में 30 हजार, छत्तीसगढ़ में 2 हजार, मध्य प्रदेश में 228 और देश की राजधानी दिल्ली में 5 हजार पाकिस्तानी रह रहे हैं तो यह देश की सुरक्षा के साथ एक बड़ा खेल है। फिर पहलगाम हमले के बाद ही सरकार को हिंदुस्तान में रह रहे इन हजारों पाकिस्तानी नागरिकों की याद कैसे आई? क्या सरकार के पास इसका कोई जवाब है?”