सीजी भास्कर, 27 सितम्बर। संसदीय स्थायी समितियों का कार्यकाल विस्तार पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। मौजूदा समितियों का कार्यकाल हाल ही में पूरा हुआ है और अब संभावना जताई जा रही है कि इसे एक साल से बढ़ाकर दो साल किया जाएगा। इस बदलाव का मकसद समितियों को निरंतरता देना और उन्हें गहराई से विधेयकों, नीतियों व रिपोर्टों पर काम करने का पर्याप्त समय उपलब्ध कराना है। (Parliament Standing Committees Term Extension)
शशि थरूर के लिए बड़ा राजनीतिक लाभ
इस प्रस्ताव का राजनीतिक असर भी देखने को मिल सकता है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर इस समय विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं। अगर Parliament Standing Committees Term Extension लागू होता है, तो वे पार्टी के भीतर मतभेदों के बावजूद दो साल तक इस पद पर बने रहेंगे। इससे न सिर्फ उनकी स्थिति मजबूत होगी बल्कि विदेश नीति पर उनके विचारों को और लंबी अवधि तक सुना जा सकेगा।
समितियों का महत्व और भूमिका
संसदीय स्थायी समितियां दोनों सदनों के सांसदों से मिलकर बनती हैं और इन्हें ‘मिनी संसद’ भी कहा जाता है। ये समितियां विधेयकों (Bills review), बजट आवंटन और सरकारी नीतियों की जांच करती हैं। संसद का सत्र न होने पर भी ये समितियां काम करती रहती हैं, जिससे सांसदों को विस्तार से नीतिगत मामलों पर चर्चा और अध्ययन का अवसर मिलता है।
हर साल होता रहा है पुनर्गठन Parliament Standing Committees Term Extension
अभी तक इन समितियों का पुनर्गठन हर साल किया जाता रहा है। लेकिन विपक्ष समेत कई सांसदों का कहना है कि एक साल का कार्यकाल पर्याप्त नहीं है। Parliament Standing Committees Term Extension से समितियों को ज्यादा समय मिलेगा और वे गहन अध्ययन कर सकेंगी।
बदलाव के बाद क्या होगा असर
अगर यह प्रस्ताव लागू हो जाता है तो स्थायी समितियों के अध्यक्षों में बड़े फेरबदल की संभावना कम है। हालांकि, सदस्यों का कार्यकाल एक साल से बढ़कर दो साल हो सकता है। इससे समितियां अधिक निरंतरता और फोकस (Focus on policy review) के साथ काम कर पाएंगी। यह कदम विधायी प्रक्रियाओं की गुणवत्ता को भी बढ़ा सकता है।