सीजी भास्कर, 25 जुलाई : राउज एवेन्यू स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के कोर्ट ने फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया (पीसीआइ) के अध्यक्ष मोंटू एम पटेल को भ्रष्टाचार के मामले में अग्रिम जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा, प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ लगाए गए आरोप किसी ठोस सामग्री से समर्थित नहीं हैं। कोर्ट ने पटेल को एक रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की एक जमानती पर अग्रिम जमानत दे दी। साथ ही साक्ष्य से छेड़छाड़ नहीं करने और जांच में सहयोग करने की शर्त लगाई।
विशेष न्यायाधीश सुशांत चंगोत्रा ने कहा कि अदालतों का यह कर्तव्य है कि वे व्यक्ति की स्वतंत्रता व जांच एजेंसी के अधिकार के बीच संतुलन बनाए रखें। उन्होंने कहा कि मामले में आरोपित की स्वतंत्रता की रक्षा करना कोर्ट का दायित्व है, क्योंकि आरोप बिना स्पष्ट प्रमाण के लगाए गए हैं। पटेल न तो फरार होने की कोशिश कर रहे हैं और न ही उनसे कोई जब्ती अपेक्षित है। उन्होंने जांच में सहयोग किया है और उनकी हिरासत की जरूरत नहीं है।
सीबीआइ के पास नहीं है साक्ष्य
कोर्ट ने सवाल उठाया कि सीबीआइ पांच हजार करोड़ की रिश्वत की राशि तक कैसे पहुंची, जब न तो कोई दस्तावेजी साक्ष्य है और न ही यह राशि किसी पूछताछ में सामने आई। अदालत ने यह भी कहा कि आरोपों में जिन 118 करोड़ रुपये की संपत्तियों का उल्लेख है, उनकी खरीद की तारीख और स्वामित्व की स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है। ऐसे में आरोपों की विश्वसनीयता और भी संदिग्ध हो जाती है। कोर्ट ने कहा कि दो वर्ष से अधिक जांच के बावजूद अभियोजन पक्ष आरोपित द्वारा किसी भी व्यक्ति से रिश्वत लेने या अनुचित लाभ लेने का कोई स्पष्ट सुबूत पेश नहीं कर सका है। सीबीआइ ने पटेल के परिसरों पर तलाशी ली थी। उन पर फार्मेसी कालेजों की मान्यता प्रक्रिया में भ्रष्टाचार, प्रभाव का दुरुपयोग और गड़बड़ियों के आरोप लगे थे।