इलाहाबाद , 24 मार्च 2025 :
नाबालिग लड़की के साथ रेप की कोशिश से जुड़े एक मामले में आए इलाहाबाद हाई कोर्ट के विवादित फैसले को लेकर दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. याचिकाकर्ता ने फैसले के विवादित हिस्से को हटाने की मांग की थी, लेकिन सुनवाई के दौरान न याचिकाकर्ता कोर्ट में मौजूद थी, न उनकी तरफ से याचिका दाखिल करने वाले वकील. जो वकील पैरवी के लिए मौजूद थे, जजों ने उनकी बात सुनने से मना कर दिया.
17 मार्च को आए इस फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि ‘पीड़िता के ब्रेस्ट को पकड़ना और पजामे की डोरी को तोड़ना रेप की कोशिश नहीं कहलाएगा. फैसला देने वाले जज जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने 11 साल की लड़की के साथ हुई इस घटना के तथ्यों को रिकॉर्ड करने के बाद यह कहा था कि यह महिला की गरिमा पर आघात का मामला है. इसे रेप या रेप का प्रयास नहीं कह सकते.
इस फैसले का चौतरफा विरोध हो रहा था. तमाम कानूनविद हाई कोर्ट से इस मामले पर संज्ञान लेने की मांग कर रहे थे. इस बीच अंजले पटेल नाम की वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी. यह याचिका एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड संजीव मल्होत्रा के जरिए दाखिल हुई थी. इसमें कहा गया था, ‘समाज की शांति और सौहार्द इस फैसले से प्रभावित हुआ है. सुप्रीम कोर्ट फैसले के विवादित अंश को हटाने के लिए कदम उठाए. साथ ही, सुप्रीम कोर्ट जजों की तरफ से की जाने वाली ऐसी टिप्पणियों को रोकने के लिए दिशानिर्देश भी जारी करे.’
मामला जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस प्रसन्ना वराले की बेंच के सामने सुनवाई के लिए लगा था. याचिका की पैरवी के लिए वकील प्रदीप यादव पेश हुए. उन्होंने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के नारे का जिक्र करते हुए अपनी बात रखनी शुरू की, लेकिन जस्टिस बेला त्रिवेदी ने उनसे कहा कि वह लेक्चरबाजी न करें.
इसके बाद कोर्ट ने सवाल किया कि याचिका दाखिल करने वाले एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड कहां हैं? वकील ने जवाब दिया कि एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड ने उन्हें याचिका की पैरवी के लिए अधिकृत किया है. फिर बेंच ने याचिकाकर्ता के बारे में सवाल किया. वकील ने कहा कि वह दिल्ली से बाहर गई हुई है. इसके बाद जस्टिस बेला त्रिवेदी ने मामला खारिज करने का आदेश दे दिया. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 32 का हवाला देते हुए सीधे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल यह याचिका खारिज की जा रही है.