सीजी भास्कर, 3 नवंबर। देश को माओवादी हिंसा से पूरी तरह मुक्त करने की अंतिम रणनीति अब छत्तीसगढ़ से तय होगी। राजधानी नवा रायपुर 28 से 30 नवंबर तक राष्ट्रीय सुरक्षा के सबसे अहम मंच 60वीं डीजी कॉन्फ्रेंस (DG Conference 2025) की मेजबानी करेगा। यह पहली बार होगा जब देश की आंतरिक सुरक्षा नीति पर इतना बड़ा मंथन बस्तर से लगे प्रदेश में होगा और यही सम्मेलन “माओवादी हिंसा-मुक्त भारत” की दिशा में निर्णायक साबित हो सकता है।
तीन दिवसीय इस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल स्वयं मौजूद रहेंगे। देशभर के पुलिस महानिदेशक (DGP), आईजी स्तर के अधिकारी, सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुख और राज्यों के गृह सचिव इस रणनीतिक चर्चा का हिस्सा होंगे। सम्मेलन का आयोजन भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) नवा रायपुर परिसर में किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने 1 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस समारोह के दौरान ही कहा था इस बात की पूरी गारंटी है कि देश को माओवादी हिंसा से मुक्त किया जाएगा। अब वही संकल्प डीजी कॉन्फ्रेंस के मंच से ठोस नीति में बदलने जा रहा है।
माओवादी हिंसा पर निर्णायक मोड़
प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को माओवादी हिंसा से पूरी तरह मुक्त करने का लक्ष्य तय किया है। वर्ष 2014 में जहां माओवादी गतिविधियां 125 जिलों में फैली थीं, वहीं अब यह संख्या घटकर केवल तीन जिलों बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर तक सिमट गई है। सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, नवा रायपुर में होने वाला यह सम्मेलन इस अभियान का अंतिम चरण साबित हो सकता है। माना जा रहा है कि इस दौरान संयुक्त अभियानों, राज्यों के बीच इंटेलिजेंस शेयरिंग, और स्थानीय समुदायों की भागीदारी बढ़ाने पर ठोस रणनीति तय होगी।
सम्मेलन के प्रमुख मुद्दे
इस बार की डीजी कॉन्फ्रेंस सिर्फ नक्सलवाद तक सीमित नहीं रहेगी। इसमें देश की आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों पर व्यापक चर्चा होगी। आतंकवाद और उग्रवाद से निपटने की नई नीति, साइबर सुरक्षा और डिजिटल निगरानी प्रणाली, मादक पदार्थ नियंत्रण और तस्करी पर रोक, सीमा प्रबंधन और सीमा पार आतंकी नेटवर्क पर रणनीति, राज्यों के बीच इंटेलिजेंस शेयरिंग का एकीकृत मॉडल पर चर्चा होगी।
छत्तीसगढ़ की भूमिका
छत्तीसगढ़ की जमीन को इस सम्मेलन के लिए इसलिए चुना गया है क्योंकि यही राज्य अब माओवादी हिंसा से अंतिम लड़ाई का केंद्र बन गया है। बस्तर, सुकमा और बीजापुर जैसे इलाकों में संयुक्त सुरक्षा बलों के अभियानों से माओवादियों के नेटवर्क को लगातार कमजोर किया गया है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि अगर 2026 तक छत्तीसगढ़ माओवादी प्रभाव से मुक्त हो जाता है, तो इसका असर पूरे देश की आंतरिक स्थिरता और निवेश माहौल पर सकारात्मक पड़ेगा।
