सीजी भास्कर, 03 सितंबर। राजधानी रायपुर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। Chhattisgarh पुलिस विभाग से जुड़ी इस घटना ने पूरे महकमे को हिला कर रख दिया है। जानकारी के मुताबिक पुलिस (police suicide) लाइन में पदस्थ प्रधान आरक्षक राम आसरा पोरते, जो वाहन चालक के पद पर कार्यरत थे, ने पुलिस लाइन परिसर स्थित सामुदायिक भवन के पास फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
इस घटना ने विभाग के साथ-साथ उनके परिजनों को भी गहरे सदमे में डाल दिया है। घटना बुधवार सुबह की बताई जा रही है, जब पुलिसकर्मियों ने सामुदायिक भवन के पास प्रधान आरक्षक का शव लटकता देखा। तत्काल इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई, जिसके बाद मौके पर पुलिस टीम पहुंची और पंचनामा कार्रवाई शुरू की।
शव को फंदे (police suicide) से उतार कर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया गया है। बताया जा रहा है कि प्रधान आरक्षक राम आसरा पोरते पिछले कुछ समय से मानसिक दबाव में थे। आरोप है कि वाहन शाखा के प्रभारी द्वारा उन्हें कई दिनों से प्रताड़ित किया जा रहा था।
मृतक के परिजनों ने दबी जुबान में बताया कि प्रभारी द्वारा उन पर लगातार दबाव बनाया जा रहा था और कुछ दिनों से उन्हें ड्यूटी से गैरहाजिर भी दिखाया जा रहा था। इसी वजह से वे गहरे तनाव में थे और आखिरकार उन्होंने यह चरम कदम उठाया।
घटना के बाद से मृतक के परिवारजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। परिजन यह कहने से तो कतरा रहे हैं, लेकिन उनका आरोप साफ झलकता है कि लगातार विभागीय उत्पीड़न के कारण ही राम आसरा ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया।
मृतक के परिजनों का कहना है कि राम आसरा ड्यूटी के प्रति ईमानदार और समर्पित थे। लेकिन जब उन्हें बिना कारण ड्यूटी से हटाया गया और अपमानजनक व्यवहार किया गया, तो यह बोझ वह सहन नहीं कर पाए। इस घटना ने पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली और आंतरिक अनुशासन पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
अक्सर यह देखा गया है कि विभागीय दबाव और वरिष्ठ अधिकारियों के अनुचित व्यवहार के चलते पुलिसकर्मी मानसिक तनाव का शिकार होते हैं। कई बार यह तनाव इतना गहरा हो जाता है कि आत्महत्या जैसे कदम उठाने पड़ते हैं।
फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है। वरिष्ठ अधिकारी पूरे मामले की बारीकी से छानबीन कर रहे हैं। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि आत्महत्या के पीछे सिर्फ व्यक्तिगत कारण थे या वाकई विभागीय उत्पीड़न ने राम आसरा को मजबूर कर दिया।