रायपुर (छत्तीसगढ़)। देश की स्वास्थ्य प्रणाली को एक नई दिशा देते हुए AIIMS रायपुर में अब ऐसा पोर्टेबल हॉस्पिटल पहुंच चुका है, जो न केवल दुर्गम इलाकों में तत्काल इलाज देने में सक्षम है, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं और नक्सली घटनाओं जैसी स्थिति में एक साथ 200 लोगों का इलाज कर सकता है। यह हाईटेक हॉस्पिटल आरोग्य मैत्री प्रोजेक्ट के तहत विकसित किया गया है और इसकी लॉन्चिंग स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने की।
क्या है यह पोर्टेबल हॉस्पिटल?
- दुनिया का पहला BHISM-सक्षम पोर्टेबल हॉस्पिटल, जिसे हवाई, जल और सड़क मार्ग से आसानी से कहीं भी भेजा जा सकता है।
- इसका कुल वजन 800 किलोग्राम है, जो दो अलग-अलग पैलेट्स में बंटा हुआ है।
- हर पैलेट में 72 क्यूब होते हैं, और हर क्यूब फायर वॉटर प्रूफ होता है, जिसका वजन लगभग 20 किलोग्राम है।
- क्यूब को पैदल, साइकिल या छोटे वाहनों से भी ले जाया जा सकता है, यानी यह literally चलता-फिरता अस्पताल है।
कौन-कौन सी सुविधाएं होंगी उपलब्ध?
मेडिकल ट्रीटमेंट
- बुलेट इंजरी
- स्पाइनल इंजरी
- चेस्ट और लिंब इंजरी
- बर्न केसेस
- सांप के काटने का इलाज (Snake Bite Treatment)
डायग्नोस्टिक सपोर्ट
- इनबिल्ट X-Ray मशीन जो सेकेंडों में रिपोर्ट दे सकती है।
- 20 प्रकार की ब्लड व बॉडी टेस्टिंग लैब।
तकनीकी खूबियां
- BHISM ऐप से हर क्यूब जुड़ा है, जिसमें QR स्कैन से पता चल जाता है कि कौन से क्यूब में क्या मौजूद है।
- सोलर पैनल और जेनरेटर सपोर्ट, ताकि बिजली ना होने पर भी इलाज रुक ना पाए।
- स्ट्रेचर, ऑपरेशन थिएटर इक्विपमेंट, मेडिकल बेड्स, ऑक्सीजन सपोर्ट, और प्राथमिक चिकित्सा के सभी उपकरण उपलब्ध।
किसने किया इस प्रोजेक्ट को संभव?
यह अत्याधुनिक हॉस्पिटल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर शुरू हुए आरोग्य मैत्री प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया गया है। इसमें स्वास्थ्य मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की संयुक्त भूमिका रही है।
रायपुर एम्स में किया गया प्रदर्शन
इस हाईटेक मेडिकल सिस्टम को पहली बार AIIMS रायपुर में स्थापित किया गया, जहां इसका लाइव प्रदर्शन कर डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित किया गया। स्वास्थ्य मंत्री ने जनता से अपील की कि इसे समझें, अपनाएं और ज़रूरत पड़ने पर इसका उपयोग करें।