सीजी भास्कर, 29 जून |
भोपाल रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर-6 के पास स्थित ईरानी डेरा में इस बार मोहर्रम के मौके पर ईरान के नेताओं के पोस्टर लगाए गए हैं।
कई जगहों पर शिया समुदाय के प्रभावशाली धार्मिक और सैन्य नेताओं आयतुल्ला अली खामेनेई, अली अल सिस्तानी, जनरल मोहम्मद बाघेरी, कासिम सुलेमानी और अयातुल्ला खोमैनी के बड़े-बड़े पोस्टर्स लगाए गए हैं। एक जगह आयतुल्ला अली खामेनेई का फोटो तिरंगे के नीचे लगा है।
फतेहपुर से भोपाल आए ईरानी डेरे के इमाम शाहकार हुसैन ने कहा कि हर साल पोस्टर्स लगाए जाते हैं, लेकिन इस बार संख्या ज्यादा है। इसकी वजह है 12 दिन की वह जंग, जिसे इजराइल ने बुजदिलाना अंदाज में शुरू किया और ईरान ने करारा जवाब दिया।
इजराइल-ईरान के बीच संघर्ष विराम को लेकर उन्होंने कहा कि सीजफायर की मांग खुद इजराइल-अमेरिका ने की। यह सिर्फ ईरान नहीं, इंसाफ पसंद तमाम लोगों की जीत है।
खामेनेई सिर्फ धर्मगुरु नहीं, अब आलमी लीडर बन चुके हैं
ईरानी डेरे के इमाम शाहकार हुसैन के मुताबिक, आयतुल्ला खामेनेई ने खुद कहा है कि यह जीत मोहर्रम की देन है। हमने इमाम हुसैन से सीखा है कि जुल्म के खिलाफ सिर नहीं झुकाते। मोहर्रम का यही संदेश है और इस बार इसे दुनिया के सामने रखना जरूरी था कि हक की राह पर चलने वाले कभी हारते नहीं।
शाहकार हुसैन ने कहा- यहां जो बैनर लगे हैं, वे कोई सेलिब्रेशन नहीं, बल्कि एक वैचारिक प्रदर्शन हैं। यह दिखाने के लिए है कि अगर इमाम हुसैन की राह पर चला जाए तो बड़ी से बड़ी ताकत को झुकाया जा सकता है।
भारत के रुख की तारीफ, ईरानी कल्चरल हाउस ने भेजा शुक्रिया पत्र
शाहकार हुसैन ने कहा कि इसमें भारत का बैलेंस रवैया रहा है। ईरानी कल्चरल हाउस ने एक लेटर जारी किया है। भारत की अवाम का शुक्रिया अदा किया है कि वह साथ में खड़े रहे, भारत का रवैया बिल्कुल सही था, जंग में किसी का फायदा नहीं है, नुकसान ही है। उन्होंने जंग रुकवाने की कोशिश भी की, मगर यूरोपियन कंट्रीज का स्टैंड गलत था। उन्होंने इसकी कहीं भी मजम्मत नहीं की।
हमारी आस्था में विरोधाभास नहीं
ईरानी डेरे में तिरंगे के साथ पोस्टर लगाने पर मोहम्मद अली कहते हैं- हम भारत के ही हैं, यहीं का नमक खाया है। अगर वक्त आया तो देश के लिए जान देने से भी पीछे नहीं हटेंगे। हमने तिरंगा इसलिए लगाया ताकि लोग समझें कि हम भारतीय हैं और हमारी आस्था में विरोधाभास नहीं, समरसता है।
महात्मा गांधी का भी कोट लगाया
यहां लगे बैनर्स में महात्मा गांधी का एक कथन भी प्रमुखता से छपा है, जिसमें लिखा है कि मोहर्रम सिर्फ एक फेस्टिवल नहीं, आतंकवाद के खिलाफ एक प्रोटेस्ट है। इन बैनरों के साथ काले झंडे और सबसे ऊपर भारतीय तिरंगा भी लगाया गया है।
यह जीत जालिमों के खिलाफ इंसाफ की आवाज की है
यहां मौजूद एक अन्य युवक करार अली, जो स्थानीय धार्मिक कार्यों से जुड़े हैं, कहते हैं- 1400 साल पहले कर्बला में इमाम हुसैन ने यजीद के खिलाफ आवाज उठाई थी। आज उनके नक्शे कदम पर चलते हुए खामेनेई ने यूएस और इजराइल के जुल्म के खिलाफ खड़े होकर एक नई इबारत लिखी है।
वहीं, तौफिक अली का कहना है कि “इस बार मोहर्रम का माहौल इसलिए अलग है, क्योंकि दुनिया ने देखा कि अमेरिका और इजराइल जैसे मुल्क एक सच्चे रहबर के सामने झुकते नजर आए।