रायपुर के पूर्व मेयर प्रमोद दुबे (Pramod Dubey Letter to PM Modi) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के लिए औपचारिक रूप से समय मांगा है। उन्होंने प्रधानमंत्री को एक विस्तृत पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ में कुछ मंत्रियों द्वारा दो-दो सरकारी बंगले कब्जे में लेने के मामले को गंभीरता से उठाया है। दुबे का कहना है कि यह न सिर्फ सरकारी नियमों का उल्लंघन है, बल्कि जनता के पैसे का गलत इस्तेमाल भी है।
Pramod Dubey Letter to PM Modi: आवास नीति का उल्लंघन और नियमों की अनदेखी
पूर्व मेयर ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि भारत के किसी भी राज्य में एक मंत्री को केवल एक सरकारी आवास दिया जाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ में वर्तमान में दस मंत्री पुराने रायपुर और नए रायपुर, दोनों जगहों पर बंगले कब्जे में रखे हुए हैं। यह “आवास आबंटन नीति” और Central Civil Service Rules 964 का खुला उल्लंघन है। दुबे ने चेतावनी दी कि भविष्य में इस पर CAG द्वारा ऑडिट आपत्ति दर्ज हो सकती है, जिससे राज्य की छवि पर असर पड़ेगा।
सरकारी खर्च पर रखरखाव का बोझ जनता पर
(Pramod Dubey Allegations) के अनुसार, मंत्रियों द्वारा कब्जे में लिए गए दोनों बंगलों के रखरखाव, बिजली, बागवानी और स्टाफ का खर्च सरकारी खजाने से वहन किया जा रहा है। दुबे ने कहा कि पिछले छह महीनों में इन खर्चों पर भारी राशि खर्च की गई है। उनका आरोप है कि विकास कार्यों के लिए आवंटित बजट अब मंत्रियों की व्यक्तिगत सुविधाओं में इस्तेमाल हो रहा है।
Pramod Dubey Letter to PM Modi: राज्य के कर्ज और जनता के हित का सवाल
दुबे ने अपने पत्र में यह भी लिखा कि वर्तमान सरकार ने बीते दो वर्षों में लगभग 60 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। ऐसे में दो-दो बंगले रखना “जनता के साथ अन्याय” है। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वे इस मुद्दे पर ध्यान दें और व्यक्तिगत मुलाकात के लिए उन्हें समय दें ताकि वे सभी दस्तावेजों और तथ्यों के साथ विस्तृत चर्चा कर सकें।
सीधे संवाद की इच्छा जताई, प्रधानमंत्री कार्यालय से मांगी अनुमति
(Pramod Dubey PM Meeting Request) में उन्होंने लिखा है कि यदि प्रधानमंत्री कार्यालय कलेक्टर के माध्यम से मुलाकात का समय तय करे, तो वे स्वयं जाकर पूरी जानकारी प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य किसी पर व्यक्तिगत आरोप लगाना नहीं, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करना है।
