सीजी भास्कर, 14 फरवरी। प्रयागराज में महाकुंभ की भगदड़ में लापता खुंटी गुरु जब अपनी ही तेहरवीं में पहुंचे, तो सब हैरान रह गए और मातम जश्न में बदल गया, और मोहल्ले में खुशी की लहर दौड़ गई।
आपको बता दें कि कभी-कभी हकीकत भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं होती। ऐसा ही कुछ हुआ प्रयागराज के ‘खुंटी गुरु’ के साथ, जो महाकुंभ में हुई भगदड़ के बाद लापता हो गए थे। जब परिवार और पड़ोसियों ने उन्हें मृत मानकर उनकी तेहरवीं का आयोजन किया तो वह अचानक वहां आ पहुंचे। मातम का माहौल देखते ही देखते जश्न में बदल गया, और पूरा मोहल्ला उनके जिंदा लौटने की खुशी में झूम उठा।
गौरतलब हो कि खुंटी गुरु करीब 60 साल के हैं और प्रयागराज के ज़ीरो रोड इलाके में एक छोटे से 10×12 कमरे में अकेले रहते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार वह एक मशहूर वकील कन्हैयालाल मिश्रा के बेटे हैं लेकिन समय के साथ उनका परिवार बिखर गया और वह अकेले रह गए। मोहल्ले के लोग उन्हें ‘खुंटी गुरु’ के नाम से जानते हैं, जो अपनी अनोखी जीवनशैली और दिलचस्प किस्सों के लिए मशहूर हैं। मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) पर गंगा स्नान के लिए गए खुंटी गुरु अचानक लापता हो गए थे। एक दिन बाद मची भगदड़ में कई लोग घायल हुए और कुछ की जान भी चली गई। परिवार और पड़ोसियों ने हर जगह उनकी तलाश की, लेकिन जब कोई सुराग नहीं मिला तो सभी ने मान लिया कि शायद वह इस भगदड़ में अपनी जान गवां बैठे। इसी सोच के साथ मंगलवार को उनकी आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मणों और स्थानीय लोगों को भोजन कराने की तैयारी की गई लेकिन जैसे ही पूड़ी-सब्जी बनकर तैयार हुई तभी एक ई-रिक्शा से उतरे खुंटी गुरू को देख सबकी आंखें फटी रह गईं। कोई नाराज था, तो कोई खुशी से झूम उठा। पड़ोसी अभय अवस्थी ने कहा कि हमने उन्हें मरा हुआ मान लिया था लेकिन जब वह मुस्कुराते हुए लौटे, तो गुस्से और खुशी का अजीब सा मिला-जुला भाव था। जब खुंटी गुरु से पूछा गया कि इतने दिनों तक वह कहां थे, तो उनका जवाब बेहद मज़ेदार था। उन्होंने कहा कि कुछ साधुओं के साथ chillum पी और फिर नींद आ गई। शायद कई दिनों तक सोया रहा। बाद में वह नागा साधुओं के शिविर में चले गए, जहां उन्होंने भंडारा का खाना खाया और उनकी सेवा में लगे रहे।