भिलाई
शिक्षा नगरी भिलाई में स्थित कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिंदी विभाग ने भारत के महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती बड़े उत्साह और गरिमा के साथ मनाई। साहित्य और संस्कृति को समर्पित इस कार्यक्रम में प्रोफेसर्स, स्कॉलर्स और छात्र-छात्राओं ने अपने विचार रखकर प्रेमचंद की विचारधारा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का संदेश दिया।
सरस्वती वंदना से हुई शुरुआत, शोधार्थियों ने संभाली कमान
कार्यक्रम का शुभारंभ राजनीति विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. मणिमेखला शुक्ला की सरस्वती वंदना और एस. कृष्णा रूपेश के स्वागत गीत से हुआ। इसके पश्चात मंच पर उपस्थित अतिथियों को पुष्प भेंट कर सम्मानित किया गया।
प्रेमचंद और तुलसीदास: साहित्य के दो स्तंभ
हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. सुधीर शर्मा ने कहा – “जिस प्रकार तुलसीदास ने समाज में नैतिक मूल्यों की नींव रखी, उसी प्रकार प्रेमचंद ने बीसवीं शताब्दी में यथार्थवादी साहित्य के माध्यम से सामाजिक बदलाव की नींव रखी।”

डॉ. फ़िरोज़ा जाफ़र अली ने प्रेमचंद को युग-पुरुष बताते हुए कहा – “उनकी रचनाएं समाज का आईना थीं, जिनमें उन्होंने तत्कालीन विसंगतियों को उजागर कर साहित्य को जन-जन से जोड़ा।”
“ईदगाह” से लेकर “गोदान” तक: हर कहानी में जीवन का सार
प्राचार्य डॉ. विनय शर्मा ने प्रेमचंद की कालजयी रचना ‘ईदगाह’ का उल्लेख करते हुए कहा – “हामिद जैसे पात्रों के माध्यम से प्रेमचंद ने न सिर्फ रिश्तों की गहराई दिखाई, बल्कि मानवीय मूल्यों की मिसाल भी पेश की।”
“हमने प्रेमचंद को पढ़ा नहीं, जिया है” – डॉ. रामा यादव
डॉ. रामा यादव ने कहा – “हम उसी लमही गांव के निवासी हैं, जहां प्रेमचंद जन्मे थे। हमें गर्व है कि हमारा क्षेत्र प्रेमचंद जैसे साहित्यिक विभूति की जन्मस्थली है।”
प्रेमचंद की रचनाएं आज भी प्रासंगिक
- समाजशास्त्र विभाग के डॉ. के.एन. दिनेश ने कहा – “प्रेमचंद का साहित्य केवल कहानी नहीं, समाज का दर्पण है।”
- राजनीति विभाग की डॉ. मणिमेखला शुक्ला ने प्रेमचंद को महान राष्ट्रवादी साहित्यकार कहा।
- शिक्षा संकाय की डॉ. शबाना ने प्रेमचंद से प्रेरणा लेने का संदेश दिया।
- हिंदी विभाग के डॉ. अंजन कुमार ने कहा – “प्रेमचंद का लेखन स्वतंत्रता, समानता और बंधुता का सच्चा प्रतिबिंब है।”
शोधार्थियों ने रखा विचार – साहित्य के सच्चे वाहक
कार्यक्रम की दूसरी कड़ी में हिंदी विभाग के शोधार्थियों ने प्रेमचंद और उनके साहित्य के विविध आयामों पर विचार रखे। निमाई प्रधान, जितेंद्र, अंजली भटनागर, घनश्याम टंडन, बिमला नायक, पूरन अजय, रजनी पटेल और राकेश कुमार ने अपने व्याख्यानों से कार्यक्रम को जीवंत बना दिया।
निमाई प्रधान के सधे हुए मंच संचालन ने पूरी व्यवस्था को अनुशासित और प्रभावशाली बनाया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के शिक्षकगणों के साथ बड़ी संख्या में विद्यार्थियों की उपस्थिति रही।