सीजी भास्कर, 15 जून। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सत्ता संभालने के बाद पहली बार 18 जून को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी का दौरा करेंगे। इस दौरान वह राष्ट्र भर के 9.26 करोड़ लाभ पाने वाले किसानों के लिए 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की पीएम-किसान योजना की 17वीं किस्त भी जारी करेंगे।
आपको बता दें कि 18 जून को पीएम किसानी की 17वीं किस्त जारी होगी। पीएम पद की शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबसे पहले पीएम-किसान योजना की 17वीं किस्त जारी करने से जुड़ी फाइल पर हस्ताक्षर किए हैं। वर्ष 2019 में प्रारम्भ की गई पीएम-किसान योजना एक प्रत्यक्ष फायदा हस्तांतरण (डीबीटी) पहल है जिसके अनुसार लाभ पाने वाले किसानों को उनकी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए तीन समान किस्तों में 6,000 रुपये की वार्षिक राशि प्राप्त होती है। योजना की शुरूआत के बाद से केंद्र ने राष्ट्र भर में 11 करोड़ से अधिक किसानों को 3.04 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि वितरित की है।
गौरतलब हो कि केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र के लिए 100 दिवसीय योजना तैयार कर रही है, जिसमें किसानों के कल्याण और राष्ट्र में कृषि परिदृश्य के समग्र विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर बल दिया गया है। अब तक लक्षित 70,000 में से 34,000 से अधिक कृषि सखियों को 12 राज्यों गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश और मेघालय में पैरा-विस्तार कार्यकर्ता के रूप में प्रमाणित किया जा चुका है। मोदी स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के 30 हजार से अधिक सदस्यों को प्रमाण पत्र भी प्रदान करेंगे, जिन्हें कृषि सखियों के रूप में प्रशिक्षित किया गया है, ताकि वे पैरा विस्तार कार्यकर्ता के रूप में काम कर सकें और साथी किसानों को खेती में सहायता कर सकें।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संवाददाताओं से बात करते हुए कृषि क्षेत्र के प्रति गवर्नमेंट की प्रतिबद्धता दोहराई है। श्री चौहान ने कहा कि पिछले दो कार्यकालों में कृषि हमेशा से ही पीएम मोदी की अहमियत रही है, उन्होंने किसानों के भलाई में कई अहम निर्णय लिए हैं। कृषि मंत्री ने कृषि सखी योजना को भी ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ एक सहयोगात्मक कोशिश बताया है। उन्होंने कहा कि इस योजना का उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों की 90 हजार स्त्रियों को अर्ध-विस्तार कृषि मजदूरों के रूप में प्रशिक्षित करना है ताकि कृषक समुदाय की सहायता की जा सके तथा अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकें।