सीजी भास्कर, 15 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ में विगत वर्ष धान की बंपर पैदावार के बावजूद अब किसानों में पारंपरिक फसलों के साथ अन्य फसलों (Pulses-Oilseeds Area Increased) की ओर रुझान बढ़ने लगा है। कोरिया जिले के किसान अब धान के अलावा दलहन, तिलहन की खेती में भी रुचि ले रहे हैं, जिससे फसल विविधीकरण की दिशा में एक सकारात्मक परिवर्तन देखा जा रहा है। किसानों में अब दलहन, तिलहन फसलों की ओर भरोसा बढ़ा है।
धान के रकबे में कमी
कृषि विभाग कोरिया से मिली जानकारी के अनुसार खरीफ वर्ष 2024-25 में जिले में 33 हजार 842 हेक्टेयर में धान की बुवाई की गई थी, जबकि वर्तमान खरीफ वर्ष 2025-26 में 32 हजार 920 हेक्टेयर में धान बोया गया हैं। इस प्रकार 922 हेक्टेयर क्षेत्रफल में (2.75 प्रतिशत) कमी दर्ज की गई है।

दलहन-तिलहन के रकबे में वृद्धि
जिले में दलहन और तिलहन फसलों (Pulses-Oilseeds Area Increased) के रकबे में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। विगत वर्ष 9 हजार 194 हेक्टेयर में दलहन की खेती की गई थी, जबकि इस वर्ष यह बढ़कर 9 हजार 730 हेक्टेयर हो गई है यानि 536 हेक्टेयर (5.82 प्रतिशत) की वृद्धि की गई है। वर्ष 2024 में 1 हजार 874 हेक्टेयर क्षेत्र में तिलहन की बुवाई हुई थी, जबकि वर्तमान वर्ष में यह बढ़कर 2 हजार 272 हेक्टेयर तक पहुँच गई है यानी तिलहन की खेती में 398 हेक्टेयर (21.23 प्रतिशत) की बढ़ोतरी हुई है।
मूंगफली फसलों के रकबे में उछाल
मूंगफली फसल की बात करें तो इसमें भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। पिछले वर्ष 933 हेक्टेयर में मूंगफली बुवाई की गई थी, जबकि इस वर्ष यह बढ़कर 1 हजार 520 हेक्टेयर हो गई है । इस तरह मूंगफली फसल की बुआई में 587 हेक्टेयर (38.61 प्रतिशत) की वृद्धि हुई है।
जिले के किसान अर्न्तवर्तीय फसल की ओर अग्रसर
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा प्रदेश के किसानों और ग्रामीणों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए उठाए गए ठोस कदमों का ही यह परिणाम है कि अब जिले के किसान फसल विविधिकरण की ओर अग्रसर हो रहे हैं। जिले के किसान धान के अलावा दलहन, तिलहन फसलों के माध्यम से अपनी आमदनी (Pulses-Oilseeds Area Increased) बढ़ाने में रूचि ले रहे हैं।
आने वाले समय में कोरिया जिला दलहन-तिलहन उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी जिलों में शामिल होगा। कृषि विभाग द्वारा किसानों को उन्नत बीज, तकनीकी मार्गदर्शन और विपणन सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार जलवायु और मिट्टी की उपयुक्तता के चलते जिले में तिलहन और दलहन दोनों फसलों के पैदावार में और वृद्धि की संभावना है।